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रेक्टल कैंसर के लक्षण और उनकी शुरुआती पहचान के आसान उपाय
शरीर में किसी भी प्रकार की असामान्यता दिखे तो उसे अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है। खासकर जब बात हो रेक्टल कैंसर की यह ऐसी बीमारी है जो रेक्टम (मलाशय) की दीवारों में शुरू होती है और शुरूआती समय में इसके लक्षण हल्के हो सकते हैं। अगर आप जान लें कि रेक्टल कैंसर के लक्षण (rectal cancer symptoms in hindi) क्या हो सकते हैं और उनके संकेतों को पहचानने के आसान उपाय क्या हैं, तो समय रहते निदान और बेहतर इलाज संभव है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि रेक्टल कैंसर क्या है, उसके संभावित लक्षण कौन-कौन से हैं, कौन‑से संकेत बचकर देखने चाहिए, और शुरुआती पहचान के उपाय क्या हो सकते हैं। साथ ही अंत में, हम बलेंगे कि बेहतर इलाज के लिए कहां जाना चाहिए।
रेक्टल कैंसर क्या है?
- रोज़मर्रा की परिभाषा: रेक्टल कैंसर उस स्थिति को कहते हैं जब मलाशय (rectum) की भीतरी कोशिकाओं में अनियमित वृद्धि (ट्यूमर) शुरू हो जाए और वह बढ़ने लगे।
- आंत्र संबंधी कैंसर समूह: इसे अक्सर कॉलन (large intestine) के कैंसर के साथ जोड़कर कोलोरेक्टल कैंसर कहा जाता है।
- विकास: यह धीरे-धीरे विकसित होता है पहले छोटे पॉलीप्स बनते हैं, जो समय के साथ कैंसर जनक बन सकते हैं।
- इलाज: इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी आदि शामिल होते हैं।
रेक्टल कैंसर के लक्षण
रेक्टल कैंसर यानी मलाशय के अंदर होने वाला कैंसर, एक गंभीर बीमारी है जो अक्सर धीरे-धीरे बढ़ती है और शुरूआती अवस्था में इसके लक्षण बहुत हल्के या अस्पष्ट हो सकते हैं। यही कारण है कि कई बार यह बीमारी तब तक पहचान में नहीं आती जब तक वह गंभीर रूप नहीं ले लेती। लेकिन अगर हम शरीर के संकेतों को समय रहते समझें और इन पर ध्यान दें, तो इस बीमारी को शुरुआती अवस्था में पकड़कर इलाज शुरू किया जा सकता है।
आइए जानते हैं रेक्टल कैंसर से जुड़े कुछ प्रमुख और सामान्य लक्षण, जिन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए:
1. मल में रक्त आना
रेक्टल कैंसर का सबसे आम और शुरुआती लक्षण है मल के साथ खून आना। यह खून चमकदार लाल रंग का या कभी-कभी गहरे रंग का हो सकता है। हालांकि बवासीर (पाइल्स) जैसी अन्य समस्याओं में भी खून आता है, लेकिन यदि यह समस्या बार-बार या लंबे समय तक बनी रहे, तो इसे हल्के में न लें और डॉक्टर से जांच कराएं।
2. आंत्र आदतों में बदलाव
कैंसर के कारण आपकी मल त्यागने की दिनचर्या बदल सकती है। किसी व्यक्ति को अचानक दस्त या कब्ज़ की शिकायत होने लगती है, जो लंबे समय तक बनी रहती है। कई बार मल के त्याग में बार-बार बदलाव आना या मल पूरी तरह से न निकल पाने का अहसास भी रेक्टल कैंसर का संकेत हो सकता है।3. मल का आकार पतला होना
एक सामान्य लक्षण यह भी होता है कि मल का आकार पहले की तुलना में बहुत पतला या रिबन जैसा हो जाता है। यह संकेत करता है कि मलाशय के रास्ते में कोई रुकावट या ट्यूमर है, जो मल को संकरे रास्ते से निकलने पर मजबूर कर रहा है।
4. पेट में परेशानी या असामान्य पाचन
रेक्टल कैंसर पेट में असहजता पैदा कर सकता है। इससे गैस, ऐंठन, कब्ज़, सूजन या पेट दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। कई बार व्यक्ति को भोजन पचाने में कठिनाई होती है और पेट बार-बार फूला हुआ महसूस होता है।
5. लगातार थकान और कमजोरी
कैंसर के कारण शरीर में धीरे-धीरे खून की कमी हो सकती है, जिससे व्यक्ति को थकान और कमजोरी महसूस होने लगती है। यहां तक कि बिना किसी भारी काम के भी शरीर थका हुआ महसूस करता है। साथ ही, शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है।
6. अचानक वजन कम होना
यदि बिना किसी डाइटिंग या व्यायाम के अचानक वजन कम हो रहा है, तो यह शरीर में हो रहे किसी गंभीर बदलाव का संकेत हो सकता है। कैंसर कोशिकाएं शरीर की ऊर्जा को तेजी से खर्च करती हैं, जिससे वजन तेजी से गिरने लगता है।
7. अधूरे मलत्याग का एहसास
कुछ लोगों को लगता है कि मल त्याग के बाद भी पेट पूरी तरह साफ नहीं हुआ। यह "इनकम्प्लीट बॉवेल मूवमेंट" कैंसर की वजह से हो सकता है, जो मलाशय पर दबाव डालता है और पूरी सफाई का अनुभव नहीं होने देता।
रेक्टल कैंसर की शुरुआती पहचान के आसान उपाय
रेक्टल कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन यदि इसकी पहचान समय रहते हो जाए, तो इसका इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है। अक्सर लोग इसके लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं या सामान्य पेट की समस्याओं की तरह समझ लेते हैं, जिससे बीमारी बढ़ जाती है। इसलिए जरूरी है कि हम कुछ जरूरी उपायों को अपनाकर इस बीमारी की शुरुआती पहचान कर सकें।
यहाँ हम जानेंगे कि रेक्टल कैंसर के शुरुआती लक्षणों को कैसे पहचाना जाए और किन जांचों के माध्यम से इसकी पुष्टि की जा सकती है।
1. लक्षणों पर खुद सावधानी रखें
रेक्टल कैंसर के शुरूआती लक्षण बहुत हल्के हो सकते हैं, लेकिन यदि आप नियमित रूप से अपने शरीर के संकेतों पर ध्यान दें, तो खतरे को समय पर पहचान सकते हैं। यदि आपको बार-बार मल में खून आना, मल त्यागने की आदत में बदलाव, पतला मल, पेट में असामान्य दर्द, कब्ज़ या दस्त जैसी समस्या बार-बार होती है, तो यह संकेत हो सकता है कि कोई गंभीर स्थिति बन रही है। यह जरूरी नहीं कि यह हमेशा कैंसर हो, लेकिन ऐसी स्थिति में डॉक्टर से तुरंत जांच करवाना बुद्धिमानी है।
2. मल परीक्षण (Faecal Occult Blood Test - FOBT) करवाएं
FOBT एक बहुत ही सामान्य और आसान जांच है, जो मल में छिपे रक्त का पता लगाती है। कई बार रेक्टल कैंसर के लक्षणों में रक्त आना बहुत हल्का होता है और सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता। ऐसे में यह जांच रक्त के अंशों को पकड़ लेती है और शुरुआती संकेत देती है कि आंत में कुछ असामान्य हो रहा है। यह जांच विशेष रूप से 45 वर्ष की उम्र के बाद हर व्यक्ति को साल में एक बार जरूर करवानी चाहिए।
3. कोलोनोस्कोपी और सिग्मॉइडोस्कोपी
ये दोनों तकनीकें आंत की गहराई से जांच करने में मदद करती हैं। कोलोनोस्कोपी में एक लंबी, लचीली ट्यूब जिसमें कैमरा लगा होता है, को मलाशय और बड़ी आंत में डाला जाता है। इससे डॉक्टर अंदर की सतह को साफ़-साफ़ देख सकते हैं और यदि कोई गांठ, सूजन या ट्यूमर है तो तुरंत पता लगाया जा सकता है।
सिग्मॉइडोस्कोपी कोलोनोस्कोपी से थोड़ी छोटी प्रक्रिया है, जिसमें आंत के एक भाग तक ही कैमरा पहुंचाया जाता है। यह कम समय लेता है और शुरुआती जांच के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।
4. डिजिटल रेक्टल एग्जाम (DRE)
यह एक शुरुआती और सरल तरीका है, जिसमें डॉक्टर उंगली के माध्यम से मलाशय की अंदरूनी सतह को महसूस करके जांच करते हैं। यदि कोई गांठ या असामान्य कठोरता होती है, तो डॉक्टर उसे महसूस कर सकते हैं। हालांकि यह जांच सीमित क्षेत्र तक होती है, लेकिन कई बार शुरुआती लक्षण पकड़ने में मदद करती है।
5. इमेजिंग टेस्ट्स (CT स्कैन, MRI, अल्ट्रासाउंड)
अगर डॉक्टर को संदेह हो कि रेक्टल क्षेत्र में कोई असामान्यता है, तो इमेजिंग तकनीकों का सहारा लिया जाता है।
- CT स्कैन और MRI शरीर के अंदर की तस्वीरें प्रदान करते हैं, जिससे यह पता चलता है कि कैंसर आसपास के ऊतकों तक फैला है या नहीं।
- एब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड और एंडोरेक्टल अल्ट्रासाउंड से आंत के आसपास की संरचना को बारीकी से देखा जा सकता है।
आज ही परामर्श लें
रेकटल कैंसर के लक्षण शुरुआत में हल्के हो सकते हैं और अक्सर अनदेखे रह जाते हैं। लेकिन यदि आप समय रहते लक्षणों की पहचान करें और तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं, तो उपचार सफल हो सकता है। शुरुआती पहचान और सक्रिय इलाज से जीवन रक्षा संभव है।
यदि आपको या आपके परिचित को रेक्टल कैंसर से जुड़ी परेशानी हो, तो विशेषज्ञ सलाह और बेहतरीन इलाज के लिए Oncare Cancer Hospital एक भरोसेमंद नाम है। यहां अनुभवी डॉक्टर, आधुनिक तकनीक और पूर्ण देखभाल के साथ इलाज होता है।
Frequently Asked Questions
नहीं हमेशा नहीं। शुरुआत में दर्द न हो सकता है, लेकिन जैसे जैसे ट्यूमर बढ़ता है, पेट दर्द, गैस और ऐंठन हो सकती है।
नहीं, लेकिन यह गंभीर लक्षण हो सकता है। पाइल्स, फिशर आदि कारणों से भी हो सकता है। लगातार रक्त आए तो डॉक्टर देखें।
हाँ, डॉक्टर बताएंगे कि बारीकी से पश्चात तैयारी जैसे फास्टिंग या क्लीनिंग करनी होगी ताकि परीक्षण सही हो।
अगर समय पर इलाज शुरू हो जाए, तो बहुत मामलों में पूरी तरह ठीक हो सकता है। लेकिन यह स्टेज और मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।
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