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आंत के कैंसर के लक्षण: कब डॉक्टर से मिलें
जब हमारी आंत यानी बाउल (colon या large intestine) या मलाशय (rectum) में किसी प्रकार की असामान्यता होती है, तो शुरूआती समय में लक्षण बहुत हल्के या अस्पष्ट हो सकते हैं। अक्सर इन्हें सामान्य पाचन समस्या समझ लिया जाता है। लेकिन यदि आपको नीचे दिए गए संकेत समय-समय पर दिखाई दें, तो यह सलाह दी जाती है कि आप डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। कारण है आंत का कैंसर (Bowel cancer / Colon cancer), जो यदि समय रहते पकड़ा जाए, तो इलाज संभव हो सकता है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आंत के कैंसर के लक्षण (bowel cancer symptoms in Hindi) क्या हो सकते हैं, किन संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, और कब डॉक्टर या विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। साथ ही जानेंगे इलाज के विकल्प, और अंत में एक भरोसेमंद अस्पताल का सुझाव भी देंगे।
आंत का कैंसर क्या है?
आंत का कैंसर, जिसे आमतौर पर कॉलन कैंसर या बाउल कैंसर कहा जाता है, तब होता है जब आंत की भीतरी परतों की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। ये कोशिकाएँ धीरे-धीरे ट्यूमर बनाती हैं और समय के साथ अन्य अंगों में फैल भी सकती हैं। यदि यह कैंसर मलाशय (rectum) तक हो, तो उसे कोलोरेक्टल कैंसर कहा जाता है।
आंत का कैंसर आमतौर पर धीरे बढ़ता है पहले छोटे पॉलीप्स बनते हैं और कुछ वर्षों में इनमें असामान्य परिवर्तन होते हैं। इसलिए प्रारंभिक पहचान और नियमित जांच बहुत महत्वपूर्ण है।
आंत के कैंसर के लक्षण (Bowel Cancer Symptoms in Hindi)
नीचे दिए गए लक्षण सभी मामलों में दिखाई नहीं देते, लेकिन यदि ये नियमित रूप से बने रहें, तो डॉक्टर से मिलना चाहिए:
1.मल में खून आना
मल के साथ खून आना आंत कैंसर का पहला और अक्सर दिखने वाला लक्षण है। यह रक्त चमकीला लाल हो सकता है या गहरा, जहाँ रक्त गहरेोटीन मल में मिल गया हो। कभी‑कभी रक्त इतनी हल्की मात्रा में होता है कि आँखों से नहीं दिखता। ऐसी स्थिति में FOBT (Faecal Occult Blood Test) जैसी जांच काम आती है, जो मल में बंद रक्त के छोटे‑छोटे अंशों को पकड़ लेती है। यदि यह लक्षण लगातार दो‑तीन सप्ताह बने रहे, तो चिकित्सक से परामर्श ज़रूरी है।
2.मल त्याग की आदत में बदलाव
कभी दस्त होना, कभी कब्ज़ होना आंत्र आदतों में अचानक बदलाव होना एक चेतावनी संकेत है। आंत कैंसर की स्थिति में मल त्याग की आवृत्ति में बदलाव आ सकता है जैसे कि पहले नियमित था, अब अनियमित हो गया हो। कभी अधिक बार जाना पड़े, कभी कम। अगर यह बदलाव लंबे समय तक बना रहे, तो यह सामान्य समस्या नहीं बल्कि कुछ गंभीर हो सकता है।
3.मल पतला होना
मल का आकार पतला हो जाना या रिबन जैसा बन जाना another चेतावनी हो सकता है। इसका मतलब है कि आंत का कोई हिस्सा संकुचित हो गया हो, संभवतः ट्यूमर द्वारा दबाव या अड़चन की वजह से। यह बदलाव धीरे‑धीरे हो सकता है और शुरुआत में दर्दनाक न हो, लेकिन समय के साथ मल आसानी से निकलने में परेशानी हो सकती है।
4.पेट में दर्द, गैस या सूजन
नीचे पेट या पेट के दाईं‑बाएँ हिस्सों में ऐंठन, गैस भरना, पेट फूलना, सूजन महसूस होना ये सभी सामान्य हो सकते हैं, लेकिन यदि ये कई हफ्तों तक लगातार बनी रहें तो डॉक्टर से मिलना चाहिए। कभी‑कभी खाना खाने के बाद तुरंत पेट फूल जाना या भारीपन महसूस होना भी संकेत है। यह भी देखा गया है कि खाने के बाद गैस की मात्रा बढ़ जाती है या पेट ठीक से खाली नहीं होता।
5.थकान और कमजोरी
आंत कैंसर की स्थिति में शरीर में खून की कमी (एनीमिया) हो सकती है, जिससे थकान और कमजोरी महसूस होती है। बिना किसी भारी काम के भी शरीर जल्दी थक जाए, चलने‑फिरने में ऊर्जा कम लगना ये संकेत हो सकते हैं कि कुछ अंदरूनी समस्या है। साथ ही, रोग‑प्रतिरोधक क्षमता गिर सकती है, जिससे छोटे‑छोटे संक्रमण या सामान्य सर्दी‑खाँसी से भी जरूरी आराम न मिलना।
6.बिना कारण वजन कम होना
यदि आप किसी विशेष डाइट पर नहीं हैं, व्यायाम नहीं कर रहे, लेकिन फिर भी आपका वजन धीरे‑धीरे घट रहा हो, तो यह लाल झंडा है। शरीर जब कैंसर कोशिकाओं को नियंत्रित करने में लगे रहता है, तब ऊर्जा ज़्यादा खर्च होती है। इस तरह की ऊर्जा की आवश्यकता और खपत वजन कम करती है। अगर यह कमी सप्ताहों तक बनी रही हो, तो डॉक्टर जांच करें।
7.अधूरा मलत्याग का एहसास
बहुत से लोग महसूस करते हैं कि मल त्याग कर लेने के बाद भी पेट या मलाशय पूरी तरह खाली नहीं हुआ है। यह एहसास “अधूरा मल त्याग” कहलाता है। यह ट्यूमर के दबाव की वजह से हो सकता है या आंत की अंदरूनी सतह पर अड़चन हो सकती है। लगातार ऐसा महसूस होने पर यह संकेत हो सकता है कि चिकित्सीय जाँच होनी चाहिए।
8.मलाशय के पास गांठ या दर्द
कुछ मामलों में मलाशय के पास ऊँची गांठ या कठोरता महसूस की जा सकती है। ये हल्के‑से‑हल्के दर्द या असहजता के साथ हो सकते हैं। डॉक्टर डिजिटल रेक्टल एग्जाम (DRE) कर के इस बात की जांच कर सकते हैं कि कोई गांठ है या नहीं। यह अक्सर प्रारंभिक जांच का हिस्सा होता है।
कब डॉक्टर से मिलें?
नीचे कुछ संकेत हैं जिन पर तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए:
- मल में खून लगातार आना (दो–तीन दिन से अधिक)
- मल त्याग की आदत में अचानक और लगातार बदलाव
- पेट दर्द, भारीपन या गैस जो सुधार नहीं हो
- थकान और कमजोरी लगातार बनी रहे
- वजन तेज़ी से गिरना
- अधूरा मलत्याग महसूस होना
यदि ये लक्षण 2-3 हफ्तों से अधिक समय तक बने रहें, तो देरी न करें समय रहते निदान और इलाज महत्वपूर्ण है।
कैसे निदान किया जाता है? (How is Bowel Cancer Diagnosed?)
डॉक्टर द्वारा आंत के कैंसर की पुष्टि के लिए कई तरह की जांचें की जाती हैं, ताकि सटीक जानकारी मिल सके और सही इलाज शुरू हो सके।
1. मल परीक्षण (FOBT / FIT)
यह परीक्षण मल में छिपे रक्त (occult blood) की जांच करता है। कई बार मल में खून आँखों से दिखाई नहीं देता, लेकिन इस जांच के जरिए पता चल सकता है।
2. कोलोनोस्कोपी / सिग्मोइडोस्कोपी
ये जांचें डॉक्टर को आपकी बड़ी आंत (कोलन) और मलाशय को अंदर से देखने की सुविधा देती हैं। इसके ज़रिए कैंसर के प्रारंभिक लक्षण, सूजन, या पॉलीप की पहचान की जा सकती है। यदि कोई संदेहास्पद हिस्सा मिलता है, तो वहीं से बायोप्सी ली जाती है।
3. डिजिटल रेक्टल एग्जाम (DRE)
यह एक सामान्य क्लिनिकल जांच है जिसमें डॉक्टर उंगली की सहायता से मलाशय के पास किसी गांठ या असमानता को महसूस करने की कोशिश करते हैं।
4. इमेजिंग टेस्ट्स: CT Scan, MRI, Ultrasound
यदि कैंसर की पुष्टि हो जाती है, तो यह जानने के लिए कि यह शरीर में कितना फैला है (स्टेजिंग), इमेजिंग जांचें की जाती हैं। इससे इलाज की योजना बनाना आसान होता है।
आज ही परामर्श लें
आंत के कैंसर (bowel cancer) का शुरुआती पहचान और समय पर इलाज ही सबसे मजबूत हथियार हैं। यदि आप या आपके किसी परिचित को ऊपर दिए गए लक्षण महसूस हों, तो देरी न करें विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलकर जांच कराएं।
उपयुक्त चिकित्सा केंद्र और विशेषज्ञों की टीम की सहायता से, आंत कैंसर का इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है। यदि आप सर्वोत्तम देखभाल और इलाज की तलाश में हैं, तो Oncare Cancer Hospital भी आपका एक विश्वसनीय चयन हो सकता है। वहाँ आधुनिक सुविधाएँ, अनुभवी डॉक्टर और व्यक्तिगत देखभाल के साथ इलाज उपलब्ध है।
Frequently Asked Questions
शुरुआत में अक्सर दर्द नहीं होता। लेकिन जैसे जैसे ट्यूमर बढ़ता है, पेट दर्द, गैस या दबाव महसूस हो सकता है।
नहीं। यह पाइल्स, फिशर या अन्य आंत संबंधी समस्या भी हो सकती है। लेकिन यदि यह लगातार हो, तो जांच ज़रूरी है।
आमतौर पर 50 वर्ष की उम्र के बाद नियमित स्क्रीनिंग की सलाह दी जाती है। लेकिन यदि परिवार में इतिहास हो, तो पहले भी की जा सकती है।
अगर वह शुरुआती चरण में पहचान लिया जाए, तो उपचार से बहुत हद तक ठीक किया जा सकता है। स्टेज 4 में भी जीवन गुणवत्ता और समय बढ़ाना संभव है।
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