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ब्रेस्ट कैंसर के प्रकार: कैसे अलग होते हैं और किन कारणों से जोखिम बढ़ता है?
ब्रेस्ट कैंसर सुनते ही कई लोगों के मन में डर और चिंता पैदा हो जाती है। अक्सर लोग सोचते हैं कि यह सिर्फ एक ही प्रकार का कैंसर होता है। लेकिन सच यह है कि ब्रेस्ट कैंसर कई अलग-अलग प्रकार का हो सकता है और हर प्रकार का इलाज और प्रगति अलग होती है।
जैसे हर महिला का शरीर अलग होता है, वैसे ही ब्रेस्ट कैंसर भी अलग-अलग तरह से शरीर पर असर डाल सकता है। शुरुआती पहचान और सही जानकारी होने से इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है और परिणाम भी बेहतर होते हैं।
इस लेख में हम जानेंगे कि ब्रेस्ट कैंसर के मुख्य प्रकार कौन–कौन से हैं, वे कैसे अलग होते हैं और किन कारणों से किसी व्यक्ति का जोखिम बढ़ सकता है। साथ ही यह भी समझेंगे कि सही इलाज और निगरानी से कैसे जीवन सुरक्षित रखा जा सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर क्या है?
ब्रेस्ट कैंसर स्तन की कोशिकाओं में होने वाला असामान्य विकास है। यह तब होता है जब स्तन की कोशिकाएं नियंत्रित तरीके से बढ़ना बंद कर देती हैं और अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं। यह गांठ या ट्यूमर का रूप ले सकता है।
कैंसर स्तन के किसी भी हिस्से में शुरू हो सकता है, जैसे दूध निकालने वाली नलियां (ducts) या दूध बनाने वाली ग्रंथियां (lobules)। स्तन कैंसर जल्दी पहचानने पर नियंत्रित किया जा सकता है, इसलिए नियमित जांच और लक्षणों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
ब्रेस्ट कैंसर के मुख्य प्रकार
ब्रेस्ट कैंसर कई प्रकार के होते हैं। ये प्रकार इस बात पर निर्भर करते हैं कि कैंसर कोशिकाएं स्तन के किस हिस्से से शुरू हुई हैं और उनका व्यवहार कैसा है।
डक्टल कार्सिनोमा इन सिटू (DCIS)
यह ब्रेस्ट कैंसर का प्रारंभिक चरण होता है। इसमें कैंसर कोशिकाएं दूध की नलियों में होती हैं और अभी शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैली होती। इसे प्री-कैंसर की स्थिति भी कहा जाता है। DCIS आमतौर पर दर्दरहित होता है और नियमित मैमोग्राफी से ही पहचाना जाता है।
इन्फिल्ट्रेटिंग डक्टल कार्सिनोमा (IDC)
यह सबसे आम प्रकार का ब्रेस्ट कैंसर है। इसमें कैंसर कोशिकाएं दूध की नलियों से बाहर निकलकर आसपास के स्तन ऊतक में फैल जाती हैं। IDC धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है, इसलिए शुरुआती पहचान और इलाज बहुत जरूरी है।
लोब्यूलर कार्सिनोमा इन सिटू (LCIS)
LCIS भी एक प्रारंभिक प्रकार का कैंसर है। इसमें कैंसर कोशिकाएं स्तन की लोब्स यानी दूध बनाने वाली ग्रंथियों में होती हैं। LCIS अक्सर लक्षण नहीं दिखाता, लेकिन यह भविष्य में ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।
इन्फिल्ट्रेटिंग लोब्यूलर कार्सिनोमा (ILC)
ILC में कैंसर कोशिकाएं लोब्स से बाहर फैल जाती हैं और आसपास के ऊतक को प्रभावित कर सकती हैं। यह प्रकार अक्सर धीरे-धीरे बढ़ता है और कभी-कभी पहचान में देर हो सकती है।
ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर
यह प्रकार ज्यादा आक्रामक होता है। इसमें कोशिकाओं में एचआर (हॉर्मोन रिसेप्टर) और HER2 प्रोटीन की कमी होती है। ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर जल्दी फैल सकता है और इसे नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
HER2 पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर
इसमें कोशिकाओं में HER2 प्रोटीन अधिक होता है, जो कैंसर की बढ़त को तेज करता है। HER2 पॉजिटिव कैंसर का इलाज आधुनिक दवाओं और टारगेटेड थेरेपी से संभव है।
हॉर्मोन रिसेप्टर पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर
इस प्रकार में कैंसर कोशिकाएं एस्ट्रोजन या प्रोजेस्टेरोन हार्मोन पर निर्भर होती हैं। यह प्रकार अक्सर धीरे-धीरे बढ़ता है और इलाज में हॉर्मोनल थेरेपी प्रभावी रहती है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हर महिला में अलग हो सकते हैं। आमतौर पर गांठ या सूजन सबसे पहला संकेत होती है।
कुछ महिलाओं को स्तन या बगल में गांठ महसूस होती है। इसके अलावा स्तन की त्वचा में बदल, लालिमा, दर्द, या निप्पल से असामान्य स्राव भी संकेत हो सकते हैं। कभी-कभी लक्षण बहुत हल्के होते हैं, इसलिए नियमित जांच बेहद जरूरी है।
ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ाने वाले कारण
किसी भी महिला में ब्रेस्ट कैंसर होने का जोखिम अलग-अलग होता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें जीवनशैली, आनुवंशिक कारण और हार्मोनल बदलाव शामिल हैं।
उम्र बढ़ने के साथ ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ता है। परिवार में किसी सदस्य को ब्रेस्ट कैंसर होना भी जोखिम को बढ़ाता है। हार्मोनल बदलाव, जैसे देर से मेनोपॉज या हार्मोनल दवाओं का लंबे समय तक सेवन, भी जोखिम को प्रभावित कर सकता है।
अनियमित जीवनशैली, जैसे धूम्रपान, शराब का सेवन, असंतुलित आहार और कम शारीरिक गतिविधि, भी ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
जीवनशैली बदलाव से जोखिम कम करना
ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने में सही जीवनशैली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संतुलित और पौष्टिक आहार, नियमित हल्की-फुल्की एक्सरसाइज और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान रखना शरीर की इम्यूनिटी मजबूत करता है।
धूम्रपान और शराब से दूरी बनाना, पर्याप्त नींद लेना और तनाव कम करना भी ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करता है। ये आदतें केवल कैंसर से बचाव नहीं करती, बल्कि इलाज के दौरान शरीर को मजबूत और दवाओं के लिए तैयार करती हैं।
नियमित जांच और स्क्रीनिंग
ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआती पहचान के लिए नियमित स्क्रीनिंग बहुत जरूरी है। महिलाएं 40 साल की उम्र के बाद साल में कम से कम एक बार मैमोग्राफी करवाएं।
इसके अलावा स्तन की खुद जांच करना, लक्षणों पर ध्यान देना और डॉक्टर से तुरंत परामर्श लेना भी शुरुआती पहचान में मदद करता है। शुरुआती चरण में कैंसर आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है और इलाज का समय और जटिलता कम होती है।
सही इलाज और अस्पताल का चयन
ब्रेस्ट कैंसर का इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों और सही अस्पताल में ही प्रभावी होता है। Oncare Cancer Hospital में अनुभवी डॉक्टरों की टीम, आधुनिक तकनीक और मरीज-केंद्रित देखभाल उपलब्ध है।
यहाँ हर प्रकार के ब्रेस्ट कैंसर का इलाज उपलब्ध है, चाहे वह सर्जरी हो, कीमोथेरेपी, रेडिएशन या टारगेटेड थेरेपी। सही मार्गदर्शन और समय पर इलाज जीवन को नई उम्मीद देता है।
आज ही परामर्श लें
ब्रेस्ट कैंसर के कई प्रकार होते हैं और हर प्रकार का इलाज और प्रगति अलग होती है। शुरुआती पहचान, नियमित स्क्रीनिंग, सही जीवनशैली और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
अगर आप या आपके परिवार का कोई सदस्य ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रहा है, तो Oncare Cancer Hospital एक भरोसेमंद विकल्प है। यहाँ अनुभवी डॉक्टरों की टीम, आधुनिक इलाज सुविधाएं और मरीज-केंद्रित देखभाल उपलब्ध हैं। समय पर इलाज और सही मार्गदर्शन जीवन में नई उम्मीद ला सकता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
ब्रेस्ट कैंसर के मुख्य प्रकार में DCIS, IDC, LCIS, ILC, ट्रिपल नेगेटिव, HER2 पॉजिटिव और हॉर्मोन रिसेप्टर पॉजिटिव शामिल हैं।
संतुलित आहार, नियमित हल्की एक्सरसाइज, पर्याप्त नींद और धूम्रपान से दूरी बनाकर।
नहीं, लक्षण हर महिला में अलग हो सकते हैं और कभी-कभी शुरुआती चरण में कोई लक्षण नहीं होते।
शुरुआती चरण में कैंसर नियंत्रित किया जा सकता है और सही इलाज से मरीज लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
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