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फेफड़ों के कैंसर का इलाज: पूरी जानकारी

क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि खांसी कई हफ्तों से बनी हुई है या सांस लेने में तकलीफ हो रही है? हम में से कई लोग इसे मौसम या आम सर्दी-खांसी मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन ध्यान दें ये लक्षण फेफड़ों के कैंसर की चेतावनी हो सकते हैं, खासकर अगर आप धूम्रपान करते हैं या प्रदूषित वातावरण में रहते हैं। फेफड़ों का कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है और अगर समय पर पहचाना न जाए, तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
इस लेख में हम सरल भाषा में जानेंगे: फेफड़ों के कैंसर कितने प्रकार के होते हैं, उनके इलाज के मुख्य तरीके कौन-कौन से हैं, हर स्टेज पर क्या इलाज किया जाता है और यह भी कि समय पर इलाज शुरू करना क्यों ज़रूरी है। सही जानकारी और समय पर इलाज जीवन को बचा सकता है।
फेफड़ों का कैंसर क्या होता है?
फेफड़ों का कैंसर एक गंभीर बीमारी है जिसमें फेफड़ों की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। ये कोशिकाएं धीरे-धीरे एक गांठ या ट्यूमर बना लेती हैं, जो फेफड़ों के सामान्य काम में रुकावट पैदा करती हैं। यदि इस ट्यूमर का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह कैंसर शरीर के अन्य भागों जैसे हड्डी, दिमाग, लिवर या लिम्फ नोड्स तक फैल सकता है। इसलिए इसकी जल्दी पहचान और इलाज बहुत जरूरी होता है।
फेफड़ों के कैंसर के दो मुख्य प्रकार होते हैं। पहला है नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC), जो सबसे अधिक पाया जाने वाला प्रकार है और धीरे बढ़ता है। दूसरा है स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC), जो कम मामलों में होता है लेकिन बहुत तेजी से शरीर में फैलता है। दोनों ही प्रकारों का इलाज अलग-अलग तरीकों से किया जाता है, जो कैंसर की स्टेज और मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।
फेफड़ों के कैंसर का इलाज – मुख्य तरीके
फेफड़ों के कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज में है, ट्यूमर कितना फैला है, मरीज की उम्र और शारीरिक स्थिति क्या है। डॉक्टर इन सभी बातों का मूल्यांकन कर यह तय करते हैं कि कौन सा इलाज सबसे उपयुक्त रहेगा। नीचे फेफड़ों के कैंसर के इलाज के प्रमुख तरीकों की जानकारी दी गई है:
1. सर्जरी (Operation)
सर्जरी तब की जाती है जब कैंसर शुरुआती अवस्था में होता है और सिर्फ फेफड़े तक सीमित होता है। इस स्थिति में डॉक्टर फेफड़े के उस हिस्से को निकाल देते हैं जहां कैंसर मौजूद है, ताकि ट्यूमर आगे न फैले।
सर्जरी के मुख्य प्रकार:
- Wedge Resection: इसमें फेफड़े का वह छोटा हिस्सा निकाला जाता है जहाँ कैंसर पाया गया है। यह तब किया जाता है जब ट्यूमर बहुत छोटा हो और शुरुआती स्टेज में हो।
- Lobectomy: फेफड़ा कई हिस्सों (lobes) में बंटा होता है। अगर ट्यूमर किसी एक लॉब में है, तो उस पूरे लॉब को हटा दिया जाता है।
- Pneumonectomy: यदि कैंसर बहुत अधिक फैल चुका हो और केवल एक लॉब निकालना पर्याप्त न हो, तो पूरा एक फेफड़ा हटाया जा सकता है। यह निर्णय गंभीर स्थिति में लिया जाता है।
टिप: सर्जरी के बाद मरीज को कुछ समय के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट या फिजियोथेरेपी की आवश्यकता हो सकती है।
2. कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
कीमोथेरेपी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने के लिए विशेष दवाइयों का उपयोग किया जाता है। ये दवाएं शरीर में फैलकर केवल कैंसर कोशिकाओं को ही नहीं, बल्कि कुछ स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं।
कीमोथेरेपी कब दी जाती है?
- सर्जरी से पहले (Neoadjuvant): ताकि ट्यूमर छोटा हो जाए और आसानी से निकाला जा सके।
- सर्जरी के बाद (Adjuvant): बची हुई या छिपी हुई कैंसर कोशिकाएं नष्ट करने के लिए।
- अगर सर्जरी संभव न हो: जब कैंसर बहुत फैल चुका हो और ऑपरेशन करना मुमकिन न हो।
साइड इफेक्ट्स: बाल झड़ना, थकान, भूख कम लगना, उल्टी लेकिन ये लक्षण अस्थायी होते हैं और इलाज के बाद धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं।
3. रेडियोथेरेपी (Radiation Therapy)
इसमें कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च-ऊर्जा वाली किरणों (जैसे X-ray) का उपयोग किया जाता है। यह इलाज अक्सर कीमोथेरेपी के साथ मिलाकर किया जाता है ताकि इसका असर और अधिक हो।
रेडियोथेरेपी कब दी जाती है?
- सर्जरी के बाद: ताकि बची हुई कोशिकाएं भी पूरी तरह नष्ट हो जाएं।
- जब सर्जरी संभव न हो: तब यह मुख्य इलाज होता है।
- लक्षणों से राहत के लिए: जैसे अगर कैंसर के कारण दर्द या सांस की तकलीफ हो रही हो।
साइड इफेक्ट्स: त्वचा पर जलन या लालिमा, थकावट आदि, लेकिन ये लक्षण अस्थायी होते हैं।
4. लक्षित चिकित्सा (Targeted Therapy)
यह आधुनिक इलाज है जो कैंसर कोशिकाओं में मौजूद विशेष जीन या प्रोटीन को पहचान कर सिर्फ उन्हीं पर असर करता है। इसका फायदा यह होता है कि यह स्वस्थ कोशिकाओं को कम नुकसान पहुंचाता है।
कब उपयोग किया जाता है?
- जब टेस्ट से पता चले कि कैंसर में खास जीन म्यूटेशन (जैसे EGFR, ALK, ROS1 आदि) मौजूद हैं।
- मरीज की बॉडी इस थेरेपी के लिए उपयुक्त हो।
लाभ: साइड इफेक्ट्स कम होते हैं और यह उन मामलों में कारगर है जहां कीमोथेरेपी से फायदा नहीं मिल रहा हो।
5. इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy)
यह इलाज शरीर की अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) को इतना मजबूत करता है कि वह खुद कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर उनसे लड़ सके।
इम्यूनोथेरेपी कब दी जाती है?
- जब कैंसर बहुत फैल चुका हो और अन्य इलाज से फर्क न पड़ रहा हो।
- जब मरीज का शरीर इसे स्वीकार करने की स्थिति में हो।
फायदा: यह इलाज लंबे समय तक प्रभावी रह सकता है और कुछ मरीजों में यह कैंसर को स्थायी रूप से रोक भी देता है।
साइड इफेक्ट्स: थकावट, बुखार, शरीर में सूजन आदि हो सकते हैं।
इलाज के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
फेफड़ों के कैंसर का इलाज लंबा और कभी-कभी थकाने वाला हो सकता है, इसलिए इलाज के दौरान कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है।
दुष्प्रभाव को समझें:
कीमोथेरेपी के दौरान थकावट, उल्टी, भूख कम लगना और बाल झड़ना जैसे साइड इफेक्ट्स आम हैं। रेडियोथेरेपी से त्वचा में जलन या सूजन हो सकती है। इन लक्षणों को लेकर डरें नहीं, बल्कि डॉक्टर से खुलकर बात करें और सुझावों का पालन करें।
पोषण और आहार:
इलाज के समय शरीर को ऊर्जा और ताकत की बहुत ज़रूरत होती है। प्रोटीन युक्त आहार (दालें, अंडा, दूध), हरी सब्जियाँ, फल और भरपूर पानी पिएं। भोजन हल्का लेकिन पोषण से भरपूर होना चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य:
इलाज के दौरान तनाव और डर होना सामान्य है। अपने परिवार, दोस्तों और डॉक्टर से बात करें। ज़रूरत हो तो किसी मनोवैज्ञानिक से परामर्श लें।
फॉलो-अप और धूम्रपान पर रोक:
इलाज के बाद डॉक्टर के बताए अनुसार समय-समय पर जांच कराते रहें। और सबसे जरूरी बात धूम्रपान बिल्कुल बंद करें, क्योंकि इससे कैंसर दोबारा होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
आज ही परामर्श लें
फेफड़ों का कैंसर एक गंभीर बीमारी जरूर है, लेकिन इसका इलाज संभव है अगर समय पर पहचान हो जाए। इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं जैसे सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी। सही इलाज की योजना मरीज की हालत और स्टेज पर निर्भर करती है।
यदि आप या आपके किसी जानने वाले में फेफड़ों के कैंसर के लक्षण हैं जैसे लम्बी चलने वाली खांसी, सांस लेने में तकलीफ, वजन कम होना तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लें। Oncare Hospital में अनुभवी कैंसर विशेषज्ञ, अत्याधुनिक तकनीक और संवेदनशील देखभाल के साथ फेफड़ों के कैंसर का इलाज किया जाता है। यहां पर मरीज को केवल दवा नहीं, बल्कि उम्मीद भी मिलती है। सही समय पर इलाज से जीवन की नई शुरुआत संभव है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
हाँ, अगर कैंसर शुरुआती स्टेज में हो और समय रहते इलाज हो, तो पूरी तरह से ठीक होने की संभावना रहती है।
कुछ मामलों में हाँ, इसलिए इलाज के बाद फॉलो-अप बहुत जरूरी है।
अगर इलाज सही समय पर हो जाए और मरीज सावधानी बरते, तो अच्छी जीवन गुणवत्ता संभव है।
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