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सर्वाइकल कैंसर के लक्षण महिलाओं में कब और कैसे दिखते हैं?

भारत में महिलाओं के बीच कैंसर के मामलों में सर्वाइकल कैंसर एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है। यह कैंसर गर्भाशय के निचले हिस्से, जिसे गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) कहते हैं, में होता है। इस बीमारी की सबसे मुश्किल बात यह है कि शुरुआती चरण में अक्सर इसके लक्षण साफ़ दिखाई नहीं देते। यही कारण है कि अधिकतर महिलाएँ इसे समय पर पहचान नहीं पातीं और बीमारी तब पकड़ में आती है जब यह काफी बढ़ चुकी होती है।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण धीरे-धीरे दिखाई देते हैं और शुरुआत में ये सामान्य समस्याओं जैसे लगते हैं। जैसे – पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग होना, असामान्य सफेद पानी आना, कमर में दर्द होना या संभोग के बाद खून आना। कई बार महिलाएँ इन संकेतों को मामूली समझकर अनदेखा कर देती हैं, लेकिन यही छोटी-छोटी समस्याएँ आगे चलकर गंभीर कैंसर का रूप ले सकती हैं।
अगर महिलाएँ समय रहते इन लक्षणों को पहचान लें और नियमित रूप से पैप स्मीयर टेस्ट या HPV टेस्ट कराती रहें, तो इस बीमारी को शुरुआती चरण में पकड़ा जा सकता है। अच्छी बात यह है कि सही समय पर पहचान हो जाने पर सर्वाइकल कैंसर का इलाज पूरी तरह संभव है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि सर्वाइकल कैंसर के लक्षण महिलाओं में कब और कैसे दिखते हैं, इसके कारण क्या हैं, किन महिलाओं को अधिक खतरा होता है।
सर्वाइकल कैंसर क्या है?
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला एक गंभीर कैंसर है, जो गर्भाशय के निचले हिस्से यानी गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) में होता है। गर्भाशय ग्रीवा वह हिस्सा है जो गर्भाशय को योनि से जोड़ता है। जब यहाँ की कोशिकाएँ सामान्य तरीके से बढ़ने के बजाय अनियंत्रित और असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, तो वे कैंसर का रूप ले लेती हैं।
इसका सबसे बड़ा कारण होता है HPV (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) का संक्रमण। यह एक बहुत आम वायरस है, जो ज्यादातर यौन संबंध के दौरान फैलता है। हर HPV संक्रमण कैंसर में नहीं बदलता, लेकिन अगर यह लंबे समय तक शरीर में बना रहे, तो यह गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाकर कैंसर पैदा कर सकता है।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण महिलाओं में
1. असामान्य रक्तस्राव (Unusual Bleeding)
सर्वाइकल कैंसर का सबसे आम लक्षण है असामान्य रक्तस्राव। इसमें महिलाओं को पीरियड्स के बीच में खून आ सकता है, संभोग के बाद खून निकल सकता है या रजोनिवृत्ति (Menopause) के बाद भी रक्तस्राव हो सकता है। यह सामान्य स्थिति नहीं है और इसे बिल्कुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
2. असामान्य सफेद पानी या डिस्चार्ज
अगर योनि से लगातार सफेद पानी आता रहे, जिसका रंग पीला, भूरा या खून से मिला हुआ हो और उसमें बदबू भी हो, तो यह गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में बदलाव का संकेत हो सकता है। यह सर्वाइकल कैंसर का शुरुआती लक्षण है जिसे नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है।
3. पेल्विक या कमर में दर्द
कई महिलाओं को निचले पेट और कमर में लगातार दर्द रहता है। इसके अलावा, संभोग के समय दर्द महसूस होना भी एक संकेत है। ऐसा तब होता है जब कैंसर गर्भाशय ग्रीवा से फैलकर आसपास के हिस्सों पर दबाव डालने लगता है।
4. पेशाब से जुड़ी समस्याएँ
सर्वाइकल कैंसर बढ़ने पर पेशाब से जुड़ी समस्याएँ भी सामने आ सकती हैं। इसमें पेशाब करते समय जलन होना, बार-बार पेशाब लगना या पेशाब में खून आना शामिल है। यह कैंसर के बढ़ने और मूत्राशय (Bladder) पर दबाव डालने का परिणाम होता है।
5. पैरों में सूजन
जब सर्वाइकल कैंसर लसीका ग्रंथियों (Lymph Nodes) तक फैल जाता है, तो पैरों में लगातार सूजन और दर्द हो सकता है। यह सूजन सामान्य सूजन से अलग होती है और आराम करने पर भी कम नहीं होती।
6. भूख कम लगना और कमजोरी
बीमारी के बढ़ने पर शरीर में खून की कमी (एनीमिया) हो जाती है। इसके कारण महिलाओं को थकान, कमजोरी और भूख न लगने जैसी समस्याएँ होती हैं। धीरे-धीरे वजन भी कम होने लगता है।
7. अंतिम दौर के लक्षण
जब सर्वाइकल कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है, तो लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। इसमें मल या पेशाब में खून आना, हड्डियों में तेज दर्द और साँस लेने में परेशानी शामिल हैं। यह संकेत है कि बीमारी एडवांस स्टेज में पहुँच चुकी है।
सर्वाइकल कैंसर कब दिखता है?
1. शुरुआती चरण (Early Stage)
सर्वाइकल कैंसर की शुरुआत में आमतौर पर कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते। इसी वजह से इसे "साइलेंट डिज़ीज़" भी कहा जाता है। इस समय पर कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है लेकिन महिला को कोई असामान्य समस्या महसूस नहीं होती। यही कारण है कि ज्यादातर महिलाएँ इसे समय पर पहचान नहीं पातीं।
2. मध्य चरण (Middle Stage)
जब कैंसर थोड़ा बढ़ने लगता है, तो असामान्य ब्लीडिंग, बदबूदार डिस्चार्ज और पेल्विक या कमर में दर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं। कई बार संभोग के बाद खून आना भी इस स्टेज का संकेत हो सकता है। इस समय पर लक्षण स्पष्ट होने लगते हैं और अगर ध्यान दिया जाए तो बीमारी को रोका या कंट्रोल किया जा सकता है।
3. आखिरी चरण (Advanced Stage)
आखिरी स्टेज में कैंसर गर्भाशय से बाहर निकलकर शरीर के अन्य अंगों जैसे मूत्राशय, आँतों, हड्डियों और फेफड़ों तक फैल सकता है। इस स्टेज पर मल या पेशाब में खून आना, हड्डियों में तेज दर्द, सांस लेने में परेशानी और लगातार कमजोरी जैसे गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं।
आसान शब्दों में कहें तो शुरुआती स्टेज पर लक्षण नहीं दिखते, इसलिए केवल नियमित जांच जैसे Pap Smear और HPV Test से ही इसे समय रहते पकड़ा जा सकता है। यही जांच महिलाओँ के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकती है।
सर्वाइकल कैंसर के जोखिम वाले कारक
1. 30 वर्ष से ऊपर की महिलाएँ
30 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक होता है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कमजोर होने लगती है और कोशिकाओं में बदलाव तेजी से हो सकते हैं।
2. HPV वैक्सीन न लगवाना
जिन महिलाओं ने अभी तक HPV वैक्सीन नहीं लगवाई है, उन्हें सर्वाइकल कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। यह वैक्सीन महिलाओं को ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) से बचाती है, जो इस कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।
3. पारिवारिक इतिहास
अगर परिवार में पहले किसी महिला को सर्वाइकल कैंसर हुआ है, तो उस परिवार की अन्य महिलाओं को भी यह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। इसे Genetic Risk कहा जाता है।
4. Pap Smear टेस्ट न कराना
जिन महिलाओँ ने कभी Pap Smear टेस्ट नहीं कराया है, उनमें जोखिम अधिक होता है। यह टेस्ट शुरुआती स्तर पर गर्भाशय ग्रीवा की असामान्य कोशिकाओं का पता लगाता है। अगर समय रहते यह जांच न की जाए, तो कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
आज ही परामर्श लें
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। इसके लक्षण शुरुआत में बहुत हल्के और सामान्य समस्याओं जैसे लगते हैं, लेकिन इन्हें नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। असामान्य रक्तस्राव, बार-बार होने वाला डिस्चार्ज, पेल्विक दर्द या पेशाब से जुड़ी परेशानी – ये सभी संकेत हो सकते हैं कि शरीर आपको चेतावनी दे रहा है।
हर महिला को चाहिए कि वह समय-समय पर Pap Smear और HPV टेस्ट कराती रहे और HPV वैक्सीन ज़रूर लगवाए। इन छोटे-छोटे कदमों से इस कैंसर को शुरुआती चरण में ही पहचाना और रोका जा सकता है।
अगर आपको इन लक्षणों में से कोई भी लगातार महसूस हो रहा है, तो इसे हल्के में न लें। तुरंत किसी विशेषज्ञ स्त्री रोग विशेषज्ञ (Gynecologist) से परामर्श करें। बेहतर और आधुनिक इलाज के लिए आप Oncare Hospital का रुख कर सकती हैं। यहाँ अनुभवी डॉक्टरों की टीम, नवीनतम तकनीक और व्यक्तिगत देखभाल के साथ मरीजों को सुरक्षित व असरदार इलाज प्रदान किया जाता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
शुरुआती चरण में अक्सर कोई स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते, इसलिए इसे "साइलेंट डिज़ीज़" कहा जाता है। हालांकि, बीच-बीच में खून आना, असामान्य डिस्चार्ज, या संभोग के बाद खून आना शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
हाँ, अगर समय पर पहचान हो जाए तो सर्वाइकल कैंसर का इलाज पूरी तरह संभव है। शुरुआती स्टेज में Pap Smear या HPV टेस्ट के जरिए इसे पकड़ा जा सकता है।
HPV वैक्सीन लगवाना, नियमित रूप से Pap Smear/HPV टेस्ट कराना, और लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करना इस कैंसर से बचाव के सबसे असरदार तरीके हैं।
30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएँ, HPV वैक्सीन न लगवाने वाली महिलाएँ, जिनके परिवार में इस बीमारी का इतिहास है या जिन्होंने कभी Pap Smear टेस्ट नहीं कराया है, उनमें इसका जोखिम अधिक होता है।
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