कैंसर के मुख्य कारण: जीवनशैली से लेकर जेनेटिक फैक्टर तक

oncare team
Updated on Sep 30, 2025 15:18 IST

By Prashant Baghel

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिसमें शरीर की कुछ कोशिकाएं तेजी से और बिना किसी नियंत्रण के बढ़ने लगती हैं। ये कोशिकाएं आसपास के ऊतकों या अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है जैसे मुंह, फेफड़े, आंत, लिवर, ब्रेस्ट या ब्रेन।

इस बीमारी के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कुछ कारण हमारी रोजमर्रा की आदतों और जीवनशैली से जुड़े होते हैं, जैसे तम्बाकू या गुटखा खाना, शराब पीना, असंतुलित खानपान, मोटापा, व्यायाम न करना और साफ-सफाई की कमी। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें कैंसर होने की संभावना जन्म से ही अधिक होती है इसे जेनेटिक या आनुवंशिक कारण कहा जाता है। यानी अगर परिवार में किसी को कैंसर हुआ हो, तो अगली पीढ़ी में भी यह खतरा हो सकता है।

इस लेख में हम जानेंगे कि किन‑किन कारणों से कैंसर बनने की संभावना बढ़ जाती है, किन आदतों से बचना चाहिए, जीवनशैली क्या असर डालती है, और जिन लोगों में आनुवंशिक वजहें होती हैं, उनके लिए क्या‑क्या सतर्कताएँ जरूरी हैं।

कैंसर क्या है?

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कोशिकाएँ सामान्य नियमों के बाहर बढ़ने लगती हैं। ये कोशिकाएँ सिर्फ एक जगह नहीं रुकतीं ये आसपास के ऊतकों या अंगों में फैल सकती हैं और नई कोशिकाएँ बनाती चलती हैं। हर तरह का कैंसर अलग होता है, जैसे फेफड़े का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, मुंह‑गला कैंसर, त्वचा कैंसर आदि। लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि कैंसर अचानक नहीं होता इसके पीछे कई कारण और जोखिम (risk factors) होते हैं।

कैंसर के मुख्य कारण

1. तम्बाकू और धूम्रपान

तम्बाकू किसी भी रूप में सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, पान मसाला आदि हो, कैंसर का प्रमुख कारण माना जाता है। तम्बाकू में मौजूद कई रसायन कोशिकाओं को चोट पहुँचाते हैं; डीएनए को नुकसान कर सकते हैं। ऐसे नुकसान कोशिकाओं के नियंत्रण खो देने का कारण बनते हैं।

इसका संबंध खासकर फेफड़े, मुंह, गले, भोजन नली और ब्लैडर जैसे अंगों के कैंसर से है। जो लोग लंबे समय तक तम्बाकू का सेवन करते हैं, उनका जोखिम सामान्य लोगों की तुलना में बहुत ज़्यादा होता है।

क्या करें: तम्बाकू और गुटखा सेवन को पूरी तरह छोड़ देना चाहिए। अगर छोड़ना मुश्किल हो, तो धीरे धीरे मात्रा कम करें और चिकित्सकीय सलाह लें।

2. शराब का सेवन

शराब का ज़्यादा सेवन भी कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है। शराब विघटित होकर शरीर में ऐसे पदार्थ छोड़ती है जो कोशिकाओं के लिए हानिकारक होते हैं। विशेषकर अगर तम्बाकू सेवन भी हो, तो यह जोखिम और बढ़ जाता है। यह मुंह, गले, लिवर, स्तन और औरतों में गर्भाशय का कैंसर जैसे रोगों से जुड़ा है।

क्या करें: यदि संभव हो, तो शराब न पीना बेहतर है। यदि पीना है, तो सीमा में रखें कभी कभी और कम मात्रा में।

3. खान‑पान और मोटापा

भोजन की आदतें कैंसर पर बहुत असर डालती हैं:

  • तला‑भुना, भारी मसालेदार और अधिक तेल वाला खाना कोशिकाओं के लिए तनाव बढ़ाता है।
  • पैकेट वाले जंक फूड और प्रोसेस्ड मीट जैसे चीजें, जिनमें संरक्षक और केमिकल्स अधिक हों, वे भी हानिकारक हो सकती हैं।
  • मीठा ज़्यादा खाना, ज़्यादा नमक लेना, और फलों‑सब्ज़ियों की कमी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को कमजोर कर देती है।
  • मोटापा या अधिक शरीर में फैट जमा होना भी एक बड़ा खतरा है क्योंकि फैट कोशिकाएँ हार्मोन को बढ़ा सकती हैं और सूजन का कारण बन सकती हैं।

क्या करें: हर दिन संतुलित भोजन लें जिसमें फल‑सब्ज़ियाँ हों, साबुत अनाज हो, वसा कम हो। तला‑भुना और बहुत मीठा भोजन कम करें। शरीर का वजन संतुलित रखें।

4. शारीरिक गतिविधि की कमी

अगर कोई व्यक्ति ज़्यादातर समय बैठा रहकर काम करता है, ज्यादा चल‑फिर नहीं करता, व्यायाम नहीं करता तो उसके शरीर में चयापचय (metabolism) धीमा हो जाता है। हार्मोनल संतुलन बिगड़ता है, शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम होती है। अध्ययनों से पता चला है कि शारीरिक गतिविधि की कमी खासकर स्तन, आंत, गर्भाशय आदि कैंसरों से जुड़ी है।

क्या करें: हर दिन कम‑से‑कम 30 मिनट टहलना, योग करना या कोई हल्की कसरत करें। लंबे समय तक बैठने के बाद उठ‑उठ कर चलना अच्छा रहेगा।

संक्रामक और बाह्य (environmental) कारण

1. HPV और अन्य वायरस

HPV (Human Papilloma Virus) एक सामान्य वायरस है जो गले, मुंह और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से जुड़ा है। यदि यह वायरस लंबे समय तक शरीर में बना रहे और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो, तो कोशिकाएँ असामान्य हो सकती हैं।

अन्य संक्रमण जैसे हेपेटाइटिस B और C लिवर कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) बैक्टीरिया पेट के कैंसर से जुड़ा है।

क्या करें: सुरक्षित यौन जीवन बनाएँ, HPV का टीका लगवाएँ, संक्रमणों से बचाव करें।

2. आनुवंशिक कारण

कुछ लोग जन्म से ही ऐसे जीन या आनुवंशिक स्थिति रखते हैं, जिनके कारण उनका कैंसर का जोखिम अन्य लोगों से ज़्यादा होता है। उदाहरण के लिए, यदि परिवार में किसी को स्तन कैंसर, आँत का कैंसर या कोई अन्य समस्या रही हो, तो अगले सदस्य को भी जोखिम अधिक हो सकता है।

लेकिन यह याद रखना चाहिए कि आनुवंशिकता सिर्फ एक हिस्सी कारण है; जीवनशैली में बदलाव, नियमित जांच और सावधानी अपनाने से जोखिम को काफी कम किया जा सकता है।

3. पर्यावरणीय प्रदूषण और कार्यस्थल का प्रभाव

जो लोग ऐसे कार्यस्थल पर काम करते हैं जहाँ धूल, जहरीले रसायन, रसायनीक औद्योगिक गैसें या रेडिएशन मौजूद है, उनका कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। विशेषकर लैरीन्जियल कैंसर (स्वर‑यंत्र) और सिर‑गर्दन के कैंसर में यह देखा गया है कि तम्बाकू‑शराब के साथ ये पर्यावरणीय कारण मिलकर जोखिम को और बढ़ाते हैं।

4. धूप और UV किरणें

सूरज की पराबैंगनी किरणें (UV rays) त्वचा को प्रभावित करती हैं। लंबे समय तक बिना सुरक्षा के धूप में रहने से त्वचा कोशिकाओं में बदलाव हो सकते हैं जो कैंसर का रूप ले सकते हैं।

क्या करें: धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाएँ, टोपी पहनें, शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें और तेज सूरज के समय (10 बजे से 4 बजे) बाहर निकलने से बचें।

5. मानसिक स्वास्थ्य और तनाव

तनाव सीधे कैंसर नहीं पैदा करता, लेकिन यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, नींद और खान‑पान में गड़बड़ी करता है। जब शरीर तनाव में होता है, तो कई बार लोग नशा, धूम्रपान, शराब या गलत आदतों में ज़्यादा उलझ जाते हैं, जिससे कैंसर का खतरा और बढ़ता है।

क्या करें: ध्यान (meditation), योग, पर्याप्त नींद, सकारात्मक सोच और ज़रूरत पड़ने पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लेना faydemand है।

आज ही परामर्श लें

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो धीरे‑धीरे शरीर को कमजोर करती है, लेकिन अगर समय रहते इसके कारणों को पहचाना जाए और जरूरी कदम उठाए जाएं, तो इससे बचाव या इलाज संभव है। जैसे‑जैसे हम इस बीमारी के कारणों को समझते हैं जैसे तम्बाकू और शराब का सेवन, असंतुलित आहार, मोटापा, शारीरिक गतिविधि की कमी, प्रदूषण, वायरस संक्रमण और आनुवंशिक वजहें वैसे‑वैसे हम इससे दूर रहने के उपाय भी बेहतर तरीके से जान सकते हैं।

सच यह है कि कैंसर की शुरुआत अक्सर बहुत सामान्य लक्षणों से होती है जिन्हें लोग नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन अगर समय रहते जांच और इलाज शुरू हो जाए, तो ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। यही कारण है कि ज़रूरी है कि लोग न सिर्फ अपने जीवनशैली में बदलाव करें, बल्कि शरीर में किसी भी असामान्यता को हल्के में न लें।

अगर आपको किसी भी प्रकार के कैंसर से जुड़े लक्षण दिखते हैं, जैसे गांठ बनना, वजन कम होना, थकान, लम्बे समय से ठीक न हो रहा घाव या निगलने में दिक्कत तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लें।

Oncare Hospital इस दिशा में भरोसेमंद और आधुनिक तकनीकों से लैस एक प्रमुख संस्थान है, जहाँ कैंसर के सभी प्रकारों की जांच, इलाज और देखभाल अनुभवी डॉक्टरों की टीम द्वारा की जाती है। यहाँ पर आधुनिक मशीनें, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। समय पर जांच, सही जानकारी और अच्छे इलाज से ही कैंसर को हराया जा सकता है। इसलिए सावधान रहें, सतर्क रहें, और ज़रूरत पड़ने पर Oncare Hospital से परामर्श ज़रूर लें।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

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