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कैंसर की जांच कैसे होती है? पूरी जानकारी हिंदी में
कभी-कभी हमारे शरीर में ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं जो सामान्य नहीं लगते जैसे अचानक वजन घटना, लंबे समय तक खांसी रहना, बिना कारण दर्द होना या किसी हिस्से में गांठ महसूस होना। ऐसे में मन में सबसे बड़ा डर यही आता है कहीं यह कैंसर तो नहीं?
कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर इसे समय रहते पहचान लिया जाए तो इसका इलाज संभव है। सबसे जरूरी बात यह है कि कैंसर के लक्षणों को नजरअंदाज न करें और समय पर जांच करवाएं। आज के समय में मेडिकल साइंस इतनी आगे बढ़ चुकी है कि कैंसर को शुरुआती स्टेज में ही पकड़ना और उसका इलाज शुरू करना आसान हो गया है।
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि कैंसर की जांच कैसे होती है (Cancer Test in Hindi), किन लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए, और डॉक्टर कौन-कौन से टेस्ट करवाते हैं ताकि बीमारी का सही कारण पता चल सके।
कैंसर क्या होता है?
कैंसर तब होता है जब शरीर की कोशिकाएं (Cells) अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। सामान्य स्थिति में हमारी कोशिकाएं एक निश्चित समय पर बनती और मरती हैं, लेकिन जब यह प्रक्रिया असामान्य हो जाती है, तो कोशिकाएं लगातार बढ़ती रहती हैं और एक गांठ या ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। यही गांठ आगे चलकर कैंसर बन जाती है।
कैंसर किसी भी अंग में हो सकता है जैसे स्तन (Breast Cancer), फेफड़े (Lung Cancer), लिवर (Liver Cancer), मुँह (Oral Cancer), या ब्लड (Blood Cancer)। हर कैंसर का पता लगाने के लिए अलग-अलग जांचें की जाती हैं।
कैंसर की जांच क्यों जरूरी होती है?
कैंसर के शुरुआती लक्षण कई बार सामान्य बीमारियों जैसे लगते हैं। लोग सोचते हैं कि यह कोई साधारण इंफेक्शन या कमजोरी है और इसे नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन जब तक कैंसर का असली कारण सामने आता है, तब तक बीमारी बढ़ चुकी होती है।
इसलिए कैंसर की जांच करवाना सिर्फ इलाज के लिए नहीं बल्कि जीवन बचाने के लिए जरूरी है। शुरुआती स्टेज में पता चलने पर इलाज ज्यादा प्रभावी होता है और रिकवरी की संभावना भी बढ़ जाती है।
कैंसर की पहचान कैसे की जाती है? (Cancer Diagnosis in Hindi)
डॉक्टर कैंसर का पता लगाने के लिए कई तरह की जांचें करवाते हैं। ये जांचें कैंसर के प्रकार, उसकी लोकेशन और लक्षणों के आधार पर तय की जाती हैं।
1. शारीरिक जांच (Physical Examination)
सबसे पहले डॉक्टर मरीज की शारीरिक जांच करते हैं। वे शरीर में किसी भी असामान्य गांठ, सूजन, दर्द या बदलाव को जांचते हैं। अगर किसी हिस्से में लगातार सूजन या घाव हो, तो डॉक्टर आगे की जांच की सलाह देते हैं।
उदाहरण के लिए अगर स्तन में कोई गांठ महसूस होती है, तो ब्रेस्ट कैंसर की जांच शुरू की जाती है। अगर मुँह में कोई सफेद या लाल दाग लंबे समय तक रहे, तो डॉक्टर ओरल कैंसर की जांच कर सकते हैं।
2. ब्लड टेस्ट (Blood Test for Cancer)
ब्लड टेस्ट कैंसर की पहचान में एक अहम कदम है। इससे पता चलता है कि शरीर के अंदर कोई असामान्य बदलाव हो रहा है या नहीं।
कुछ विशेष ब्लड टेस्ट जैसे ट्यूमर मार्कर टेस्ट (Tumor Marker Test) से यह समझा जा सकता है कि शरीर में कैंसर सेल्स की उपस्थिति है या नहीं।
उदाहरण के लिए,
- PSA टेस्ट से प्रोस्टेट कैंसर का पता चलता है।
- CA-125 टेस्ट से ओवरी कैंसर का संकेत मिलता है।
- CEA टेस्ट कोलन या लंग कैंसर के लिए किया जाता है।
हालांकि सिर्फ ब्लड टेस्ट से कैंसर की पुष्टि नहीं की जा सकती, लेकिन यह एक शुरुआती संकेत जरूर देता है।
3. इमेजिंग टेस्ट (Imaging Tests for Cancer)
इमेजिंग तकनीक से शरीर के अंदर की तस्वीरें ली जाती हैं ताकि देखा जा सके कि कहीं कोई गांठ या असामान्य टिश्यू तो नहीं है।एक्स-रे (X-Ray) सबसे बुनियादी टेस्ट है, जिससे अंदरूनी ढांचे की जानकारी मिलती है।
अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) का इस्तेमाल शरीर के अंदर मौजूद किसी ट्यूमर या गांठ को देखने के लिए किया जाता है। सीटी स्कैन (CT Scan) और एमआरआई (MRI) से कैंसर की लोकेशन और फैलाव के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है।
पीईटी स्कैन (PET Scan) एक एडवांस टेस्ट है, जो यह बताता है कि कैंसर शरीर के कौन-कौन से हिस्सों में फैल चुका है।इन जांचों से डॉक्टर को यह समझने में मदद मिलती है कि कैंसर कहां है, कितना बड़ा है और क्या यह अन्य अंगों तक फैला है।
4. बायोप्सी टेस्ट (Biopsy Test for Cancer)
यह कैंसर की पुष्टि करने का सबसे विश्वसनीय तरीका है। बायोप्सी में शरीर के संदिग्ध हिस्से से बहुत ही छोटा टिश्यू (ऊतक) या कोशिका का नमूना लिया जाता है।
इस नमूने को माइक्रोस्कोप के नीचे जांचा जाता है ताकि यह देखा जा सके कि कोशिकाएं सामान्य हैं या कैंसरस (Cancerous)।
उदाहरण के लिए,
- स्तन में गांठ हो तो Breast Biopsy
- लिवर में समस्या हो तो Liver Biopsy
- त्वचा पर असामान्य धब्बे हों तो Skin Biopsy की जाती है।
बायोप्सी से यह तय किया जा सकता है कि कैंसर है या नहीं, और अगर है तो किस प्रकार का है।
5. एंडोस्कोपी (Endoscopy)
कुछ मामलों में डॉक्टर एंडोस्कोपी करवाते हैं। यह एक खास जांच होती है जिसमें एक पतली ट्यूब कैमरे के साथ शरीर के अंदर डाली जाती है ताकि अंदरूनी अंगों की सीधी तस्वीर ली जा सके।
जैसे :
- कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy) से आंतों में कैंसर की जांच की जाती है।
- ब्रॉन्कोस्कोपी (Bronchoscopy) से फेफड़ों की जांच की जाती है।
- गैस्ट्रोस्कोपी (Gastroscopy) पेट और भोजन नली की जांच के लिए की जाती है।
6. जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing)
कुछ लोगों में कैंसर का खतरा उनके जीन (Genes) में छिपा होता है। जेनेटिक टेस्टिंग से यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति को भविष्य में कैंसर होने की संभावना है या नहीं।
यह टेस्ट खासकर तब किया जाता है जब परिवार में किसी को कैंसर हो चुका हो, ताकि दूसरों को पहले से सावधानी बरतने का मौका मिल सके।
कैंसर टेस्ट कब करवाना चाहिए?
हर व्यक्ति को यह समझना जरूरी है कि कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है। अगर शरीर में लगातार कोई असामान्य लक्षण दिख रहे हैं, तो देर न करें।
जैसे:
- बिना कारण वजन घटना
- लम्बे समय तक थकान रहना
- किसी हिस्से में गांठ या सूजन
- खून की उल्टी या पेशाब में खून आना
- घाव जो लंबे समय तक ठीक न हो
ये संकेत कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से सलाह लेकर जांच करवाना चाहिए।
कैंसर टेस्ट के बाद क्या होता है?
जब सभी जांचों के परिणाम आ जाते हैं, तो डॉक्टर यह तय करते हैं कि कैंसर किस प्रकार का है, किस स्टेज में है और उसका इलाज कैसे किया जाएगा।इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी या इम्यूनोथेरेपी जैसी तकनीकें शामिल हो सकती हैं।
कई बार मरीज घबरा जाते हैं, लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि कैंसर का मतलब अंत नहीं है। अगर इसे समय रहते पकड़ा जाए, तो इलाज से पूरी तरह ठीक होना भी संभव है।
आज ही परामर्श लें
कैंसर का डर बहुत बड़ा होता है, लेकिन उससे भी बड़ा है समय पर जांच करवाना। जितनी जल्दी बीमारी का पता चलता है, उतनी जल्दी इलाज शुरू किया जा सकता है और उतनी ही ज्यादा रिकवरी की संभावना होती है।
अगर आपके शरीर में कोई असामान्य लक्षण दिख रहे हैं या डॉक्टर ने कैंसर की जांच की सलाह दी है, तो डरें नहीं क्योंकि यह जांच आपके जीवन की सुरक्षा के लिए पहला कदम है।
बेहतर उपचार और सही सलाह के लिए Oncare Cancer Hospital जैसे विश्वसनीय केंद्र का चयन करें, जहाँ अनुभवी डॉक्टर और आधुनिक तकनीक से मरीजों को सर्वोत्तम देखभाल और नई उम्मीद दी जाती है।
Frequently Asked Questions
अगर शरीर में लगातार कोई असामान्य लक्षण दिख रहे हैं जैसे गांठ, वजन घटना, खून आना या लम्बे समय तक थकान रहना, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेकर कैंसर की जांच करवानी चाहिए।
हाँ, कुछ हद तक ब्लड टेस्ट से संकेत मिल सकते हैं, लेकिन केवल ब्लड टेस्ट से कैंसर की पुष्टि नहीं होती। इसके लिए बायोप्सी या इमेजिंग टेस्ट जरूरी होते हैं।
जांच का समय टेस्ट के प्रकार पर निर्भर करता है। कुछ ब्लड या स्कैन रिपोर्ट 1–2 दिन में आ जाती हैं, जबकि बायोप्सी रिपोर्ट में 3–5 दिन तक लग सकते हैं।
ज्यादातर कैंसर टेस्ट जैसे ब्लड टेस्ट या स्कैन दर्दरहित होते हैं। बायोप्सी में हल्का असहज महसूस हो सकता है, लेकिन यह बहुत ही सुरक्षित और नियंत्रित प्रक्रिया होती है।
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