बायोप्सी टेस्ट क्या होता है और यह कैसे किया जाता है?

oncare team
Updated on Dec 17, 2025 15:50 IST

By Prashant Baghel

जब डॉक्टर किसी मरीज के शरीर में असामान्य गांठ, सूजन या किसी गंभीर बीमारी जैसे कैंसर का शक करते हैं, तो वे कुछ खास जांचों की सलाह देते हैं। उनमें से सबसे महत्वपूर्ण जांच होती है – बायोप्सी टेस्ट।

बहुत से लोग इस नाम को सुनकर घबरा जाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह कोई बहुत जटिल या दर्दनाक प्रक्रिया होगी। लेकिन सच्चाई यह है कि बायोप्सी टेस्ट एक सुरक्षित और बेहद जरूरी जांच है, जो डॉक्टरों को बीमारी की सही पहचान करने में मदद करती है।

आज के इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि “बायोप्सी टेस्ट क्या होता है”, यह कैसे किया जाता है, इसके प्रकार, फायदे और किन स्थितियों में यह जरूरी होता है।

बायोप्सी टेस्ट क्या होता है?

बायोप्सी टेस्ट एक ऐसी जांच है जिसमें शरीर के किसी प्रभावित हिस्से से बहुत ही छोटा सा ऊतक (tissue) या कोशिका (cell) का नमूना लिया जाता है। इस नमूने को प्रयोगशाला में माइक्रोस्कोप से जांचा जाता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उस हिस्से की कोशिकाएँ सामान्य हैं या कैंसर जैसी बीमारी से प्रभावित हैं।

सीधे शब्दों में कहें तो, बायोप्सी टेस्ट का मुख्य उद्देश्य बीमारी की पुष्टि करना है खासकर तब जब डॉक्टर को किसी ट्यूमर, गांठ या संक्रमण का शक हो।

बायोप्सी टेस्ट की जरूरत कब पड़ती है?

डॉक्टर बायोप्सी टेस्ट की सलाह तब देते हैं जब उन्हें किसी गंभीर बीमारी या असामान्य वृद्धि का संदेह होता है। कुछ सामान्य परिस्थितियाँ जब बायोप्सी की आवश्यकता होती है:

  1. शरीर में कोई गांठ या ट्यूमर दिखाई दे।
  2. किसी अंग (organ) का आकार असामान्य रूप से बढ़ जाए।
  3. एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन में संदेहास्पद बदलाव दिखाई दें।
  4. त्वचा पर घाव या निशान लंबे समय तक ठीक न हो।
  5. कैंसर, ट्यूबरकुलोसिस या किसी संक्रमण की पुष्टि करनी हो।

बायोप्सी टेस्ट कैसे किया जाता है?

बायोप्सी टेस्ट एक बेहद महत्वपूर्ण जांच है जो डॉक्टर को यह समझने में मदद करती है कि शरीर के किसी हिस्से में पाए गए असामान्य ऊतक या गांठ सामान्य हैं या कैंसरस। यह प्रक्रिया पूरी तरह विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्रशिक्षित मेडिकल टीम द्वारा की जाती है। बायोप्सी का उद्देश्य सिर्फ बीमारी की पहचान करना नहीं होता, बल्कि यह तय करना भी होता है कि आगे कौन-सा इलाज सबसे उपयुक्त रहेगा। यह जांच बहुत सावधानी से चार मुख्य चरणों में पूरी की जाती है।

1. जांच का स्थान तय करना (Identifying the Site)

बायोप्सी से पहले डॉक्टर यह तय करते हैं कि शरीर के किस हिस्से से ऊतक (tissue) का नमूना लिया जाएगा। कभी-कभी यह हिस्सा आसानी से दिख जाता है, जैसे त्वचा पर कोई गांठ या घाव। लेकिन अगर यह अंदरूनी अंगों में हो, तो डॉक्टर सीटी स्कैन (CT Scan), एमआरआई (MRI) या अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) की मदद से सटीक स्थान पहचानते हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि सही हिस्से से सैंपल लिया जाए ताकि जांच का परिणाम सटीक हो।

2. लोकल एनेस्थीसिया (Local Anesthesia)

जब बायोप्सी का स्थान तय हो जाता है, तो उस जगह को सुन्न करने के लिए लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है। इसका मतलब है कि जहां से ऊतक लिया जाएगा, वहां इंजेक्शन या स्प्रे के जरिए दवा दी जाती है जिससे दर्द महसूस नहीं होता। इससे मरीज पूरी प्रक्रिया के दौरान आराम महसूस करता है और किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती।

3. ऊतक का नमूना लेना (Sample Collection)

अब डॉक्टर एक बारीक सुई, ब्लेड या विशेष उपकरण की मदद से प्रभावित हिस्से से ऊतक या कोशिका का छोटा सा नमूना निकालते हैं।

  • अगर यह सतही हिस्सा है, तो सुई या ब्लेड से सैंपल लिया जाता है।
  • अगर यह आंतरिक अंगों (जैसे लिवर, फेफड़े या बोन मैरो) से है, तो अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन की गाइडेंस में सुई डाली जाती है ताकि सही स्थान से सैंपल निकाला जा सके।
  • पूरा प्रक्रिया 15–30 मिनट में पूरी हो जाती है और सामान्यत: मरीज उसी दिन घर जा सकता है।

4. प्रयोगशाला जांच (Laboratory Examination)

सैंपल लेने के बाद उसे प्रयोगशाला (lab) में भेजा जाता है। वहां पैथोलॉजिस्ट माइक्रोस्कोप की मदद से ऊतक की कोशिकाओं की जांच करते हैं। इससे यह पता चलता है कि कोशिकाएँ सामान्य हैं या उनमें कैंसर जैसी असामान्य वृद्धि हो रही है।

इस पूरी प्रक्रिया से डॉक्टर को बीमारी की सटीक स्थिति का पता चलता है, जिससे सही और समय पर इलाज शुरू किया जा सके।

बायोप्सी टेस्ट के प्रमुख प्रकार

बायोप्सी टेस्ट के कई प्रकार होते हैं और यह इस बात पर निर्भर करता है कि शरीर के किस हिस्से की जांच करनी है। सबसे आम प्रकार है नीडल बायोप्सी (Needle Biopsy), जिसमें पतली सुई से प्रभावित हिस्से से ऊतक का नमूना लिया जाता है। इसमें फाइन नीडल एस्पिरेशन (FNAC) बहुत पतली सुई से कोशिकाएँ निकालता है, जबकि कोर नीडल बायोप्सी थोड़ी मोटी सुई से बड़ा ऊतक नमूना लेता है। इसके अलावा एक्सिशनल बायोप्सी (Excisional Biopsy) में छोटी गांठ या ट्यूमर पूरी तरह निकालकर जांच की जाती है, जबकि इन्सिशनल बायोप्सी (Incisional Biopsy) में बड़ी गांठ का सिर्फ एक हिस्सा लिया जाता है।

इसके अलावा कुछ विशेष बायोप्सी भी होती हैं। एंडोस्कोपिक बायोप्सी (Endoscopic Biopsy) में एंडोस्कोप नामक पतली ट्यूब से पेट, फेफड़े या आंतों जैसे अंदरूनी हिस्सों से ऊतक लिया जाता है। बोन मैरो बायोप्सी (Bone Marrow Biopsy) हड्डियों के अंदर की मज्जा जांचने के लिए की जाती है, खासकर ब्लड कैंसर या ल्यूकेमिया के शक में। स्किन बायोप्सी (Skin Biopsy) त्वचा पर असामान्य दाग, घाव या तिल की जांच करती है। इसके अलावा लिवर और किडनी बायोप्सी उन अंगों की कार्यप्रणाली में समस्या होने पर उनके ऊतक की जांच के लिए की जाती है। ये सभी प्रकार डॉक्टर को बीमारी की सही पहचान और सही इलाज तय करने में मदद करते हैं।

बायोप्सी टेस्ट के फायदे

  1. बीमारी की सटीक पहचान: यह सबसे विश्वसनीय तरीका है जिससे डॉक्टर यह तय करते हैं कि ट्यूमर कैंसरस है या नहीं।
  2. सही इलाज की दिशा: जब बीमारी की पुष्टि हो जाती है, तो डॉक्टर सही इलाज का रास्ता चुन सकते हैं।
  3. समय पर इलाज की शुरुआत: बायोप्सी की मदद से बीमारी को शुरुआती अवस्था में पकड़ना आसान होता है, जिससे इलाज सफल होता है।
  4. कम जोखिम और तेज़ प्रक्रिया: आधुनिक तकनीक से बायोप्सी अब बेहद सुरक्षित और तेज़ प्रक्रिया बन चुकी है।

बायोप्सी टेस्ट के बाद क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?

  • टेस्ट के बाद प्रभावित जगह पर कुछ समय के लिए हल्का दर्द या सूजन हो सकती है।
  • डॉक्टर की बताई दवा और एंटीसेप्टिक क्रीम लगाना चाहिए।
  • नमूना लेने के बाद 24 घंटे तक भारी काम या एक्सरसाइज न करें।
  • अगर बुखार, लालिमा या अत्यधिक दर्द महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

आज ही परामर्श लें

बायोप्सी टेस्ट को लेकर डरने की कोई जरूरत नहीं है। यह एक सुरक्षित, सरल और प्रभावी जांच है जो बीमारी की सटीक जानकारी देती है। अगर शरीर में कोई गांठ, सूजन या असामान्य बदलाव दिखे, तो इसे अनदेखा न करें और तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें।

अगर आप अपने या अपने किसी प्रियजन के लिए कैंसर से जुड़ी जांच या बायोप्सी टेस्ट करवाना चाहते हैं, तो Oncare Cancer Hospital एक विश्वसनीय नाम है। यहां आधुनिक तकनीक, अनुभवी डॉक्टर और अत्याधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जिससे सही निदान और बेहतरीन इलाज सुनिश्चित किया जा सके।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

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