स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा क्या होता है? आसान जानकारी

oncare team
Updated on Dec 20, 2025 16:55 IST

By Prashant Baghel

जब किसी इंसान को डॉक्टर यह बताते हैं कि उसे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा है, तो उसका मन अचानक डर और चिंता से भर जाता है। बीमारी का नाम सुनते ही ऐसा लगता है जैसे ज़मीन खिसक गई हो। दिमाग में कई सवाल एक साथ आने लगते हैं। यह कैंसर क्या होता है, यह कितना गंभीर है, क्या यह शरीर में फैल चुका है और अब आगे ज़िंदगी कैसी होगी। कई बार डर इतना ज़्यादा होता है कि इंसान खुलकर बात भी नहीं कर पाता और अपने मन की बातें अपने अंदर ही दबा लेता है।

कैंसर शब्द सुनते ही अधिकतर लोग दर्द, लंबे इलाज और अनिश्चित भविष्य की कल्पना करने लगते हैं। इंटरनेट पर अधूरी और डराने वाली जानकारी इस डर को और बढ़ा देती है। लेकिन इन सबके बीच एक सच्चाई यह भी है जिसे जानना बहुत ज़रूरी है। स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा हर मामले में जानलेवा नहीं होता। अगर इस बीमारी को सही समय पर पहचान लिया जाए और सही इलाज मिल जाए, तो इसे काफी हद तक काबू में किया जा सकता है।

आज मेडिकल साइंस काफी आगे बढ़ चुकी है और इस बीमारी के इलाज के अच्छे विकल्प मौजूद हैं। कई मरीज इलाज के बाद फिर से सामान्य जीवन जी रहे हैं। सबसे ज़रूरी बात यह है कि डर में डूबने के बजाय बीमारी को समझा जाए और डॉक्टर की सलाह पर भरोसा किया जाए।

इसी उद्देश्य से इस आर्टिकल में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा को बहुत आसान भाषा में समझाया गया है। यहां कोशिश यही है कि जानकारी आपको डराए नहीं, बल्कि आपको हिम्मत दे और सही फैसले लेने में मदद करे। सही जानकारी के साथ यह बीमारी संभालना संभव है और आगे का रास्ता उम्मीद से भरा हो सकता है।

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा क्या होता है?

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा एक तरह का कैंसर है जो शरीर की बाहरी या अंदरूनी सतह पर मौजूद कोशिकाओं से शुरू होता है। हमारे शरीर में स्क्वैमस कोशिकाएं त्वचा, मुंह, गले, फेफड़ों, खाने की नली और गर्भाशय ग्रीवा जैसी जगहों पर पाई जाती हैं। जब इन कोशिकाओं में गड़बड़ी होने लगती है और वे बिना नियंत्रण के बढ़ने लगती हैं, तब स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा बनता है।

यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ सकती है या कुछ मामलों में तेज़ी से भी फैल सकती है, इसलिए समय पर पहचान बहुत ज़रूरी होती है।

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा शरीर के किन हिस्सों में हो सकता है?

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा सिर्फ त्वचा तक सीमित नहीं होता। यह शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है। त्वचा पर होने वाला स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा अक्सर धूप के ज़्यादा संपर्क से जुड़ा होता है। वहीं मुंह, गले या फेफड़ों में होने वाला कैंसर तंबाकू, सिगरेट या शराब से जुड़ा हो सकता है।

इसका मतलब यह है कि यह बीमारी कई कारणों से हो सकती है और हर मरीज का मामला अलग हो सकता है।

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा होने के आम कारण

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण लंबे समय तक बनी रहने वाली गलत आदतें और जीवनशैली मानी जाती हैं। जब कोई व्यक्ति सालों तक अपनी सेहत पर ध्यान नहीं देता, तो इसका असर धीरे-धीरे शरीर की कोशिकाओं पर पड़ने लगता है और कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

तेज धूप के संपर्क में रहना

लंबे समय तक तेज धूप में रहना त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणें त्वचा की ऊपरी परत को धीरे-धीरे खराब करती हैं, जिससे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा होने की संभावना बढ़ जाती है। यही कारण है कि यह कैंसर अक्सर उन लोगों में देखा जाता है जो खेतों, निर्माण कार्य या खुले वातावरण में लंबे समय तक काम करते हैं।

तंबाकू और धूम्रपान की आदत

तंबाकू चबाना, सिगरेट, बीड़ी या हुक्का पीना इस कैंसर का एक बड़ा कारण है। तंबाकू में मौजूद हानिकारक रसायन मुंह, गले और फेफड़ों की कोशिकाओं को लगातार नुकसान पहुंचाते हैं। समय के साथ ये कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और कैंसर का रूप ले सकती हैं।

शराब का अधिक सेवन

लगातार और ज्यादा मात्रा में शराब पीने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इससे शरीर खुद को नुकसान पहुंचाने वाली कोशिकाओं से सही तरह से नहीं बचा पाता, जिससे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का खतरा बढ़ सकता है, खासकर जब शराब के साथ तंबाकू का सेवन भी किया जाए।

संक्रमण और कमजोर इम्यून सिस्टम

कुछ मामलों में साफ-सफाई की कमी, बार-बार होने वाले संक्रमण और लंबे समय तक चलने वाली बीमारियां भी इस कैंसर का कारण बन सकती हैं। जिन लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उनमें असामान्य कोशिकाओं को रोकने की शक्ति कम हो जाती है, जिससे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का जोखिम थोड़ा अधिक हो सकता है।

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के लक्षण क्या हो सकते हैं?

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह कैंसर शरीर के किस हिस्से में विकसित हुआ है। क्योंकि यह कैंसर त्वचा, मुंह, गले, फेफड़ों या अन्य अंगों की सतह पर मौजूद कोशिकाओं से जुड़ा होता है, इसलिए इसके संकेत भी अलग-अलग जगहों पर अलग तरह से दिखाई दे सकते हैं।

त्वचा पर होने वाले लक्षण

अगर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा त्वचा पर होता है, तो वहां एक ऐसा घाव, दाने या गांठ बन सकती है जो लंबे समय तक ठीक न हो। यह जगह सख्त हो सकती है, उस पर पपड़ी जम सकती है या हल्का-हल्का खून भी आ सकता है। कई बार यह घाव देखने में सामान्य चोट या फुंसी जैसा लगता है, इसलिए लोग इसे मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। समय के साथ इसका आकार बढ़ सकता है या रंग बदल सकता है, जो एक चेतावनी संकेत हो सकता है।

मुंह और गले से जुड़े लक्षण

जब यह कैंसर मुंह, जीभ या गले में होता है, तो बार-बार छाले बनना, घाव का ठीक न होना या लगातार दर्द बने रहना इसके शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। कुछ लोगों को आवाज़ में बदलाव महसूस होता है या बोलते समय परेशानी होने लगती है। निगलने में दिक्कत होना या गले में कुछ अटका हुआ सा महसूस होना भी आम संकेत हैं। ये लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं, इसलिए शुरुआत में इन्हें सामान्य संक्रमण या एलर्जी समझ लिया जाता है।

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा की पहचान कैसे होती है?

इस कैंसर की पहचान के लिए डॉक्टर पहले मरीज की पूरी जांच करते हैं। जरूरत पड़ने पर कुछ जांच और बायोप्सी की जाती है। बायोप्सी में कैंसर वाली जगह से थोड़ा सा टिशू लेकर उसकी जांच की जाती है, जिससे बीमारी की पुष्टि होती है। समय पर जांच होने से इलाज आसान हो जाता है।

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का इलाज कैसे किया जाता है?

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी कितनी फैली है और मरीज की सेहत कैसी है। शुरुआती स्टेज में सर्जरी से कैंसर को पूरी तरह निकाला जा सकता है। कई बार सिर्फ यही इलाज काफी होता है।अगर बीमारी थोड़ी आगे बढ़ चुकी हो, तो सर्जरी के साथ रेडिएशन या कीमोथेरेपी भी दी जा सकती है।

क्या स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा ठीक हो सकता है?

हां, बहुत से मामलों में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा पूरी तरह ठीक हो सकता है, खासकर जब इसे शुरुआती स्टेज में पकड़ लिया जाए। देर होने पर इलाज थोड़ा लंबा और जटिल हो सकता है, लेकिन फिर भी उम्मीद बनी रहती है। इसलिए समय पर डॉक्टर को दिखाना सबसे जरूरी कदम है।

आज ही परामर्श लें

अब आप समझ चुके हैं कि स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा क्या होता है और इसका इलाज कैसे संभव है। यह बीमारी डराने वाली ज़रूर लग सकती है, लेकिन सही समय पर पहचान और इलाज से इसे काबू में किया जा सकता है।

बेहतर इलाज, अनुभवी कैंसर विशेषज्ञ और मरीज को समझने वाली टीम के लिए Oncare Cancer Hospital एक भरोसेमंद नाम है, जहां आधुनिक तकनीक के साथ इंसानियत को भी उतनी ही अहमियत दी जाती है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Book an Appointment

Related Blogs

हॉजकिंस लिंफोमा का इलाज: आपके आसान विकल्प

हॉजकिंस लिंफोमा का इलाज क्या है, कैसे किया जाता है और इससे ठीक होने की कितनी संभावना है आसान शब्दों में जानें। सही जानकारी से डर कम करें और इलाज की सही दिशा समझें।

Read more

कैंसर स्टेजिंग क्यों ज़रूरी है? आसान समझ

कैंसर स्टेजिंग क्यों ज़रूरी है, इसका मतलब क्या होता है और इससे इलाज कैसे तय होता है आसान शब्दों में समझें। सही स्टेजिंग से सही इलाज और बेहतर परिणाम संभव हैं।

Read more

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण समझें: क्या आप जानते हैं?

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण, कारण और पहचान के आसान तरीके जानें। समय पर पहचान और सही उपचार से ब्रेन ट्यूमर को नियंत्रित किया जा सकता है।

Read more

कैंसर शरीर में कैसे शुरू होता है? सरल जानकारी

जानें कैंसर शरीर में कैसे शुरू होता है, इसके शुरुआती लक्षण, कारण और प्रभावी उपचार। समय पर पहचान से उपचार सफल और आसान होता है।

Read more