प्रोस्टेट कैंसर क्या है और यह पुरुषों को कैसे प्रभावित करता है

oncare team
Updated on Aug 30, 2025 14:54 IST

By Prashant Baghel

प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में पाया जाने वाला एक आम लेकिन गंभीर रोग है, जो खासतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होने की संभावना बढ़ाता है। "यह कैंसर पुरुषों के शरीर में मौजूद प्रोस्टेट नाम की एक छोटी ग्रंथि में होता है, जो बच्चे पैदा करने में मदद करती है। प्रोस्टेट ग्रंथि वीर्य बनाने में मदद करती है और मूत्राशय के ठीक नीचे स्थित होती है। जब इस ग्रंथि की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, तो वह प्रोस्टेट कैंसर का रूप ले सकती हैं।

भारत सहित दुनिया भर में लाखों पुरुष हर साल इस बीमारी से प्रभावित होते हैं। हालांकि यह कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है, लेकिन यदि समय रहते इसका पता न चले, तो यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है, जिससे जान का जोखिम बढ़ सकता है।

इस लेख में हम सरल और स्पष्ट भाषा में समझेंगे कि प्रोस्टेट क्या होता है, प्रोस्टेट कैंसर कैसे और क्यों होता है, यह पुरुषों के शरीर को किस तरह प्रभावित करता है, यह किस उम्र में होने की संभावना रखता है, और इसके होने के प्रमुख कारण व जोखिम कारक कौन-कौन से हैं।

प्रोस्टेट क्या है?

प्रोस्टेट पुरुषों के शरीर में पाई जाने वाली एक छोटी लेकिन ज़रूरी ग्रंथि होती है। इसका आकार लगभग अखरोट जैसा होता है और यह मूत्राशय (जहाँ पेशाब जमा होता है) के ठीक नीचे और मल त्याग की जगह (रेक्टम) के सामने होती है। यह प्रोस्टेट ग्रंथि एक नली को चारों ओर से घेरे रहती है, जिसे मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) कहा जाता है इसी नली से पेशाब और वीर्य दोनों शरीर से बाहर निकलते हैं।

प्रोस्टेट का सबसे ज़रूरी काम होता है ऐसा द्रव (fluid) बनाना, जो शुक्राणुओं के साथ मिलकर वीर्य बनाता है। यह तरल शुक्राणुओं को ताकत और सुरक्षा देता है, जिससे वे महिला के गर्भ तक आसानी से पहुँच सकें। जब पुरुष यौन उत्तेजना के समय स्खलन (ejaculation) करता है, तब प्रोस्टेट यह विशेष तरल बाहर निकालता है।

प्रोस्टेट की जगह शरीर में ऐसी होती है कि अगर यह बढ़ जाए या कोई गड़बड़ी हो जाए, तो पेशाब से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं — जैसे बार-बार पेशाब लगना, पेशाब रुक-रुक कर आना, या पेशाब में जलन होना। उम्र बढ़ने पर यह ग्रंथि अक्सर थोड़ी बड़ी हो जाती है, जो कभी तो सामान्य होती है, लेकिन कई बार यह गंभीर बीमारी जैसे प्रोस्टेट कैंसर का कारण भी बन सकती है।

प्रोस्टेट कैंसर क्या है?

प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाला एक सामान्य लेकिन गंभीर प्रकार का कैंसर है, जो प्रोस्टेट ग्रंथि की कोशिकाओं में असामान्य बदलाव के कारण होता है। सामान्य रूप से शरीर की कोशिकाएं नियंत्रित तरीके से बढ़ती और मरती हैं, लेकिन जब यह नियंत्रण बिगड़ जाता है, तब कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और एक गाँठ (ट्यूमर) बना सकती हैं और फिर यही स्थिति प्रोस्टेट कैंसर कहलाती है।

प्रोस्टेट कैंसर की शुरुआत धीमी गति से होती है और अक्सर इसके शुरुआती चरणों में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखाई देता, इसलिए इसे "साइलेंट" या छिपा हुआ कैंसर भी कहा जाता है। कई बार यह कैंसर वर्षों तक सीमित रहता है और किसी अन्य कारण से जांच के दौरान ही इसका पता चलता है। लेकिन कुछ मामलों में यह तेजी से बढ़ता है और प्रोस्टेट से बाहर निकलकर शरीर के अन्य हिस्सों जैसे कि लसीका ग्रंथियों (lymph nodes), मूत्राशय, या हड्डियों तक भी फैल सकता है।

यदि इसका समय पर पता न लगे और उचित इलाज न किया जाए, तो यह कैंसर जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसलिए प्रोस्टेट कैंसर की समय रहते पहचान और उपचार बेहद जरूरी है। नियमित जांच और लक्षणों पर ध्यान देना इसमें अहम भूमिका निभाते हैं।

प्रोस्टेट कैंसर किस उम्र में होता है और इसके कारण व जोखिम कारक

प्रोस्टेट कैंसर आमतौर पर बुजुर्ग पुरुषों में पाया जाने वाला रोग है। यह बीमारी विशेष रूप से 50 वर्ष की आयु के बाद अधिक देखी जाती है। जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती है, इस कैंसर का खतरा भी बढ़ता जाता है। 65 वर्ष से ऊपर के पुरुषों में यह अधिक सामान्य है। हालांकि कुछ मामलों में यह 40 से 50 साल की उम्र में भी हो सकता है, खासकर यदि परिवार में पहले किसी को यह बीमारी हो चुकी हो। इसलिए जिन पुरुषों के पिता, भाई या चाचा को यह कैंसर हुआ है, उन्हें अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होती है।

प्रोस्टेट कैंसर होने के कई कारण और जोखिम कारक होते हैं:

  1. उम्र: यह सबसे बड़ा जोखिम कारक है। उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट ग्रंथि में बदलाव होते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
  2. वंशानुगतता (Genetics): यदि किसी के परिवार में पहले किसी को प्रोस्टेट कैंसर हुआ हो, तो उसके होने की संभावना दोगुनी हो जाती है।
  3. आहार: खाने-पीने में अगर ज्यादा तला-भुना या चिकना खाना, खासकर लाल मांस और दूध से बने सामान ज्यादा खाएं, तो प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही, अगर फल, सब्जियां और रेशेदार (फाइबर वाले) खाने कम मिलें, तो भी यह समस्या हो सकती है।
  4. जीवनशैली: ज्यादा बैठना-फिरना न करना, वजन बढ़ जाना, धूम्रपान करना और ज्यादा शराब पीना इस बीमारी का खतरा बढ़ा सकते हैं।
  5. नस्लीय कारक: रिसर्च के अनुसार अफ्रीकी या अफ्रीकी-अमेरिकी वंश के पुरुषों में इस कैंसर की संभावना अधिक होती है और यह अधिक आक्रामक रूप में भी पाया जाता है।

प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों को कैसे प्रभावित करता है

प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो न केवल पुरुषों के शरीर को प्रभावित करती है, बल्कि उनकी मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक स्थिति पर भी गहरा असर डालती है। यह कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि में शुरू होता है, जो पुरुषों की प्रजनन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। उम्र बढ़ने के साथ, खासकर 50 वर्ष के बाद, प्रोस्टेट कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है।

यह जानना बेहद ज़रूरी है कि प्रोस्टेट कैंसर का प्रभाव सिर्फ शारीरिक नहीं होता, बल्कि यह पुरुषों के जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर सकता है।

1. शारीरिक प्रभाव

प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षण बहुत मामूली हो सकते हैं या बिल्कुल नहीं दिखते। लेकिन जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, कई समस्याएँ सामने आने लगती हैं:

  • पेशाब से जुड़ी समस्याएँ: प्रोस्टेट ग्रंथि मूत्र मार्ग के आसपास होती है, इसलिए इसका बढ़ना पेशाब करने में तकलीफ पैदा कर सकता है। मरीज़ को बार-बार पेशाब की आवश्यकता महसूस हो सकती है, खासकर रात में। कुछ मामलों में मूत्र की धार कमज़ोर हो जाती है या पेशाब करते समय दर्द होता है।
  • वीर्य और यौन क्रिया में परिवर्तन: प्रोस्टेट कैंसर या इसके इलाज जैसे सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी से पुरुषों की यौन क्षमता पर असर पड़ सकता है। कई बार इसका परिणाम स्तंभन दोष (erectile dysfunction) के रूप में सामने आता है, जिससे यौन संबंध बनाना मुश्किल हो सकता है। इस स्थिति का असर केवल शारीरिक नहीं होता, बल्कि इससे आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  • हड्डियों में दर्द: यदि प्रोस्टेट कैंसर शरीर के अन्य भागों, विशेष रूप से हड्डियों में फैल जाता है, तो इससे तेज़ दर्द हो सकता है। ये दर्द विशेष रूप से पीठ, कूल्हे या जाँघ में महसूस होते हैं।
  • थकान और कमजोरी: कैंसर शरीर की ऊर्जा को प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति हमेशा थका हुआ और कमज़ोर महसूस कर सकता है।

2. मानसिक और भावनात्मक प्रभाव

किसी भी कैंसर की तरह, प्रोस्टेट कैंसर का निदान पुरुषों को मानसिक रूप से काफी प्रभावित कर सकता है:

  • चिंता और डिप्रेशन: भविष्य को लेकर डर, बीमारी का इलाज और उसके दुष्प्रभावों को लेकर पुरुषों में चिंता और डिप्रेशन की समस्या आम हो सकती है।
  • आत्मविश्वास में कमी: यौन समस्याओं या शारीरिक दुर्बलता के कारण पुरुषों का आत्मविश्वास गिर सकता है। कई बार पुरुष खुलकर अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करते, जिससे मानसिक स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
  • रिश्तों पर असर: शारीरिक और भावनात्मक बदलावों का असर पारिवारिक और वैवाहिक संबंधों पर भी पड़ता है। कई बार पार्टनर के साथ संवाद में कमी आ जाती है।

3. सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

प्रोस्टेट कैंसर का इलाज लंबा और महँगा हो सकता है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ता है। कामकाज पर असर पड़ने से आय में कमी हो सकती है। साथ ही, मरीज़ को डॉक्टरों के पास बार-बार जाना पड़ता है, जिससे दिनचर्या भी प्रभावित होती है।

कुछ पुरुष इस बीमारी के बारे में बात करने में झिझक महसूस करते हैं, जिससे उन्हें सामाजिक समर्थन नहीं मिल पाता और वे अकेलेपन का अनुभव करते हैं।

आज ही परामर्श लें

प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर लेकिन समय पर पहचाना गया तो नियंत्रण में आने वाला रोग है। उम्र बढ़ने के साथ इसकी संभावना बढ़ती है, लेकिन जागरूकता, नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली से इसे काफी हद तक रोका जा सकता है। यदि आप या आपके किसी परिचित को इसके लक्षण महसूस हों, तो तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें। Oncare Hospital में प्रोस्टेट कैंसर की जांच और इलाज की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, जहाँ अनुभवी डॉक्टर आधुनिक तकनीकों से उपचार करते हैं। समय पर की गई जांच न सिर्फ जीवन बचाती है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी बनाए रखती है। सजग रहें, स्वस्थ रहें।

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