लंग कैंसर के मुख्य कारण और जोखिम कारक

oncare team
Updated on Nov 12, 2025 18:18 IST

By Prashant Baghel

क्या आपने कभी सोचा है कि फेफड़ों में कैंसर कैसे हो जाता है? जब हम गहरी सांस लेते हैं और जिंदगी की हलचल महसूस करते हैं, तब शायद यह यकीन करना मुश्किल हो कि हमें हीनस्वरूप रोग जैसे कि लंग कैंसर का सामना करना पड़ सकता है। Lung cancer causes in hindi को समझना जरूरी है, क्योंकि यह जानकारी न केवल बीमारी से बचाव में मदद करती है, बल्कि समय रहते सही निर्णय लेने में भी सहायक होती है। इस लेख में हम उस जटिल कहानी को आसान भाषा में समझेंगे जिसमें फेफड़ों की कोशिकाओं में बदलाव, बाहरी वातावरण, जीवनशैली, और आनुवंशिकी मिलकर एक बड़ी बीमारी का कारण बन सकते हैं। यदि आप या आपका कोई प्रियजन इस जोखिम में है, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकती है

लंग कैंसर क्या है

लंग कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसमें फेफड़ों की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। हमारे फेफड़े हवा से ऑक्सीजन लेकर शरीर में पहुंचाते हैं, लेकिन जब इनकी कोशिकाओं में डीएनए (DNA) का स्वरूप बदल जाता है, तो ये कोशिकाएं बिना रुके बढ़ने लगती हैं। ये असामान्य कोशिकाएं एक समूह बनाकर ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। शुरुआत में यह ट्यूमर फेफड़ों तक ही सीमित रहता है, लेकिन अगर समय पर पता न चले तो यह धीरे-धीरे आसपास के ऊतकों और अन्य अंगों तक फैल सकता है जिसे मेडिकल भाषा में मेटास्टेसिस कहा जाता है।

लंग कैंसर के दो मुख्य प्रकार होते हैं: नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) और स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC)। NSCLC सबसे आम होता है और इसका विकास अपेक्षाकृत धीमा होता है, जबकि SCLC तेज़ी से फैलता है और अधिक खतरनाक माना जाता है।

इस बीमारी का इलाज तभी कारगर होता है जब इसका जल्द पता चल जाए। इसलिए इसके कारणों और जोखिम कारकों को समझना बेहद ज़रूरी है। यदि आप जानना चाहते हैं कि lung cancer causes in hindi क्या हैं, तो यह लेख आपकी मदद करेगा।

लंग कैंसर के कारण और जोखिम कारक (Lung cancer causes in hindi)

1. धूम्रपान (सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू)

धूम्रपान सबसे प्रमुख कारण है। तम्बाकू के धुएँ में हज़ारों रसायन होते हैं, जिनमें से कई कैंसर–उत्प्रेरक (कार्सिनोजन) होते हैं। जब आप सिगरेट या बीड़ी पीते हैं तो ये चोटियाँ फेफड़ों की कोशिकाओं को लगातार प्रभावित करती हैं।निवेश बताते हैं कि धूम्रपान करने वालों में लंग कैंसर का जोखिम उस व्यक्ति की तुलना में कई गुना अधिक होता है जिसने तम्बाकू नहीं का प्रयोग किया।

2. धूम्रपान का असर (सेकंड हैंड स्मोक)

धूम्रपान का असर सिर्फ उस व्यक्ति तक सीमित नहीं होता जो खुद सिगरेट या बीड़ी पी रहा है। अगर आप ऐसे वातावरण में रहते हैं जहाँ दूसरे लोग तम्बाकू का सेवन कर रहे हैं, तो आप भी उसी धुएँ के संपर्क में आ सकते हैं। इस स्थिति को सेकंड हैंड स्मोक या पैसिव स्मोकिंग कहा जाता है। यह धुआँ भी उतना ही हानिकारक होता है जितना कि सीधे तम्बाकू पीने से होने वाला। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह और भी खतरनाक हो सकता है। नियमित रूप से पैसिव स्मोक के संपर्क में रहने से लंग कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

3. रेडॉन गैस और प्राकृतिक विकिरण

रेडॉन गैस एक अदृश्य, गंधहीन और स्वादहीन प्राकृतिक रेडियोधर्मी गैस है, जो जमीन की मिट्टी, चट्टानों और पानी से निकलती है। जब यह गैस घरों या इमारतों की नींव से रिसकर अंदर आती है, तो धीरे-धीरे वातावरण में जमा हो जाती है। लंबे समय तक रेडॉन गैस के संपर्क में आने से यह फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे लंग कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। यह खासकर बंद या खराब वेंटिलेशन वाले घरों में अधिक खतरनाक हो सकती है। इसलिए इसकी समय-समय पर जांच करवाना बहुत जरूरी है।

4. व्यावसायिक और पर्यावरणीय कार्सिनोजन (रसायन, धूल, धुँआ)

कुछ कामकाजी परिस्थितियाँ और वातावरण भी जोखिम बढ़ाते हैं। उदाहरण‑स्वरूप, अस्बेस्टस, आर्सेनिक, क्रोमियम, निकल, सिलिका धूल, डीजल उत्सर्जन आदि। इन कारकों का धुआँ या वातावरण में होना फेफड़ों को प्रभावित करता है और कैंसर की संभावना बढ़ाता है।

5. वायु प्रदूषण और घरेलू प्रदूषण

शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण (विशेष रूप से मोटर वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक धुआँ) लंग कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसी तरह, ग्रामीण या अर्ध‑शहरी इलाकों में खाना जलाने, कच्चे ईंधन (जैसे गोबर, लकड़ी) के धुएँ का असर भी घरेलू जोखिम कारक बन सकता है

6. पूर्व रेडिएशन थेरपी (चेस्ट‑क्षेत्र)

अगर किसी व्यक्ति को पहले किसी अन्य कैंसर के इलाज में छाती (चेस्ट) के क्षेत्र में रेडिएशन थेरपी दी गई हो, तो बाद में लंग कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। विशेष रूप से यदि व्यक्ति धूम्रपान भी करता हो। 

7. पारिवारिक इतिहास एवं आनुवंशिकी

यदि आपके परिवार में पहले किसी को लंग कैंसर हुआ है, तो आपका जोखिम थोड़ा बढ़ सकता है। इसका कारण आनुवांशिक प्रवृत्ति या परिवार में अन्य जोखिम‑कारक साझा होना हो सकता है।

8. अन्य स्वास्थ्य स्थितियाँ और उम्र

उम्र बढ़ने के साथ लंग कैंसर का जोखिम भी बढ़ता है क्योंकि कोशिकाओं को ज़्यादा समय मिलता है बदलाव करने के लिए। इसके अलावा, फेफड़ों की पुरानी बीमारियाँ जैसे कि फेफड़ा फाइब्रोसिस (lung fibrosis) या ऑब्सट्रक्टिव फेफड़ा रोग (COPD) भी जोखिम बढ़ा सकते हैं।ा।

क्यों कुछ लोग बिना धूम्रपान किये भी लंग कैंसर हो जाते हैं?

धूम्रपान बेशक सबसे प्रमुख कारण है, लेकिन यह बात भी सच है कि कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने कभी तम्बाकू नहीं पी है और फिर भी लंग कैंसर हुआ। इसके पीछे वायु प्रदूषण, रेडॉन गैस, occupational एक्सपोजर, आनुवांशिक कारक आदि जिम्मेदार होते हैं। इस बात से यह भी संकेत मिलता है कि सिर्फ धूम्रपान न करना ही पर्याप्त नहीं; वातावरण और जीवनशैली पर ध्यान देना भी ज़रूरी है।

भारत के सन्दर्भ में देखें

भारत में वायु प्रदूषण, घरेलू ईंधन का धुँआ, सेकंड‑हैंड स्मोक और occupational जोखिम उच्च स्तर पर हैं। उदाहरण के लिए, एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एक शहर में लगभग 25 % लंग कैंसर के मरीजों ने कभी धूम्रपान नहीं किया था बल्कि उन्हें वायु/घरेलू प्रदूषण, सेकंड‑हैंड स्मोक या रेडॉन‑प्रभाव से संभावित रूप से प्रभावित माना गया। यह हमें बताता है कि जोखिम सिर्फ तम्बाकू तक सीमित नहीं रह गए हैं।

जोखिम कम कैसे करें?

चूंकि लंग कैंसर का कारण एक‑एक जीवनशैली‑निर्णय में छुपा हो सकता है, इसलिए निम्न बातें ध्यान में रखने योग्य हैं — धूम्रपान छोड़ना/नशा न करना, घर‑परिवार में धूम्रपान नहीं होने देना, वायु गुणवत्ता सुधारने की दिशा में योगदान देना, काम के दौरान सुरक्षा‑उपकरणों का उपयोग करना तथा यदि रेडॉन गैस की संभावना हो तो घर में इसकी जाँच कराना। ये कदम लंग कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

आज ही परामर्श लें

लंग कैंसर एक घातक लेकिन समझने योग्य बीमारी है, जिसका संबंध कई जोखिम कारकों से होता है। यह केवल धूम्रपान करने वालों तक सीमित नहीं है, बल्कि रेडॉन गैस, वायु प्रदूषण, आनुवंशिकी और कार्यस्थल से जुड़े रसायन भी इसके पीछे जिम्मेदार हो सकते हैं। इसलिए lung cancer causes in hindi को सही तरीके से समझना और जागरूक रहना ज़रूरी है, ताकि समय रहते बचाव और सही निर्णय लिए जा सकें।यदि आपको लगातार खांसी, सांस लेने में कठिनाई या थकान जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो इसे हल्के में न लें। समय पर जांच और निदान से बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। इलाज के लिए आप Oncare Cancer Hospital पर भरोसा कर सकते हैं, जहाँ आधुनिक तकनीक, विशेषज्ञ डॉक्टर और व्यक्तिगत देखभाल के माध्यम से मरीजों को सर्वोत्तम उपचार उपलब्ध कराया जाता है। याद रखें, सही समय पर लिया गया कदम आपकी और आपके प्रियजनों की ज़िंदगी बचा सकता है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

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