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गैस्ट्रिक कैंसर: टेस्ट, डायग्नोसिस और स्क्रीनिंग की पूरी जानकारी
गैस्ट्रिक कैंसर को हिंदी में पेट का कैंसर कहा जाता है। यह बीमारी तब होती है जब पेट की अंदरूनी परत में खराब कोशिकाएं बनना शुरू हो जाती हैं और धीरे-धीरे बढ़ने लगती हैं। कुछ लोग इसे स्ट्रिक कैंसर भी बोलते हैं, क्योंकि नाम में गैस्ट्रिक शब्द आता है। यह एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर समय रहते पता चल जाए, तो इसका इलाज संभव होता है। आज हम जानेंगे कि गैस्ट्रिक कैंसर क्या है, इसकी जांच कैसे होती है और स्क्रीनिंग क्यों जरूरी है।
गैस्ट्रिक कैंसर क्या होता है?
हमारा पेट एक थैले जैसा अंग होता है जो भोजन को पचाने का काम करता है। पेट के अंदर की परत को म्यूकोसा कहते हैं। जब इस परत की कोशिकाएं अचानक असामान्य तरीके से बढ़ने लगती हैं, तब गैस्ट्रिक कैंसर होता है। ये कोशिकाएं धीरे-धीरे एक गांठ या ट्यूमर बना लेती हैं। अगर इस कैंसर का इलाज समय पर नहीं किया गया, तो यह पेट के दूसरे हिस्सों या शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है।
गैस्ट्रिक कैंसर के कारण
गैस्ट्रिक कैंसर होने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे आम कारणों में हानिकारक बैक्टीरिया हेलिकोबैक्टर पाइलोरी का संक्रमण होता है। इसके अलावा बहुत ज्यादा नमक वाला खाना, बासी भोजन, तंबाकू और शराब का सेवन, परिवार में किसी को पहले से कैंसर होना, और बहुत समय तक बदहजमी रहना जैसी बातें भी इसकी वजह बन सकती हैं। कुछ लोगों को यह बीमारी आनुवांशिक कारणों से भी हो सकती है।
गैस्ट्रिक कैंसर की जांच कैसे होती है?
जब किसी व्यक्ति को ऊपर बताए गए लक्षण लंबे समय तक परेशान करें, तो डॉक्टर कुछ जरूरी जांच करने की सलाह देते हैं। इससे यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति को सच में स्ट्रिक कैंसर है या कोई और बीमारी।
1. शारीरिक जांच और बातचीत
डॉक्टर सबसे पहले मरीज से उसके लक्षणों के बारे में पूछते हैं। जैसे पेट दर्द कब से हो रहा है, भूख कैसी लगती है, वजन तो नहीं घट रहा, आदि। फिर डॉक्टर पेट को छूकर देखता है कि कोई गांठ या सूजन तो नहीं है।
2. खून की जांच
खून की जांच से यह पता चलता है कि शरीर में खून की कमी तो नहीं है या शरीर में कोई संक्रमण है या नहीं।
3. एंडोस्कोपी
यह जांच बहुत खास होती है। इसमें एक पतली नली होती है, जिसके आगे कैमरा लगा होता है। यह नली मुंह के रास्ते पेट के अंदर भेजी जाती है। इससे डॉक्टर पेट के अंदर की परत को साफ-साफ देख सकता है कि वहां कोई घाव, सूजन या गांठ है या नहीं।
4. बायोप्सी
एंडोस्कोपी के दौरान ही डॉक्टर पेट की परत से थोड़ा-सा हिस्सा निकालते हैं। इसे बायोप्सी कहते हैं। इस हिस्से को लैब में जांचा जाता है कि वह हिस्सा कैंसर वाला है या नहीं। यही टेस्ट सबसे सही तरीका है कैंसर की पहचान करने का।
5. सीटी स्कैन या एमआरआई
अगर बायोप्सी में कैंसर निकलता है, तो डॉक्टर यह जानने के लिए सीटी स्कैन या एमआरआई करवाते हैं कि कैंसर कितना फैल चुका है। इससे यह भी पता चलता है कि कैंसर सिर्फ पेट तक है या शरीर के किसी और हिस्से में भी पहुंच गया है।
6. अन्य जांच
कुछ मामलों में डॉक्टर खून में ट्यूमर मार्कर की जांच भी करवाते हैं। इसके अलावा पेट के आस-पास के अंगों की भी जांच की जाती है, जैसे लिवर, फेफड़े आदि।
गैस्ट्रिक कैंसर की स्टेज क्या होती हैं?
गैस्ट्रिक कैंसर को उसकी स्टेज के अनुसार बांटा जाता है। स्टेज से यह पता चलता है कि कैंसर कितना बड़ा है और कितना फैल चुका है।
- स्टेज 1: कैंसर केवल पेट की अंदरूनी परत में होता है
- स्टेज 2: कैंसर थोड़ा गहरा होता है और आसपास के लिम्फ नोड्स में भी जा सकता है
- स्टेज 3: कैंसर पेट की बाहरी परत तक पहुंचता है और ज्यादा लिम्फ नोड्स में फैल सकता है
- स्टेज 4: कैंसर पेट से बाहर शरीर के दूसरे अंगों जैसे लिवर या फेफड़ों में फैल चुका होता है
जितनी जल्दी कैंसर की पहचान होती है, इलाज उतना ही आसान और सफल होता है।
गैस्ट्रिक कैंसर की स्क्रीनिंग क्या होती है?
गैस्ट्रिक कैंसर को समय रहते पहचानने के लिए स्क्रीनिंग बहुत जरूरी होती है। स्क्रीनिंग का मतलब होता है बीमारी की जांच उस समय करना जब कोई लक्षण न हो। इससे बीमारी की पहचान जल्दी हो जाती है और इलाज भी आसान हो जाता है। गैस्ट्रिक कैंसर की स्क्रीनिंग उन लोगों को करानी चाहिए जिन्हें इस बीमारी का खतरा ज्यादा हो।
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हाई रिस्क यानी ज्यादा खतरे वाले ग्रुप में आते हैं। जैसे:
- जिनके परिवार में पहले किसी को पेट का कैंसर (gastric cancer in hindi) हो चुका हो
- जो लोग लंबे समय से पेट की परेशानी, जैसे गैस, जलन या अल्सर से पीड़ित हैं
- जिनके पेट में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नाम का बैक्टीरिया पाया गया हो
- जो बहुत ज्यादा तंबाकू या शराब का सेवन करते हैं
- जिनकी उम्र 40 साल से ज्यादा है और उन्हें पेट से जुड़ी कोई पुरानी समस्या है
ऐसे लोगों को समय-समय पर जांच करवानी चाहिए ताकि कैंसर की पहचान जल्दी हो सके।
गैस्ट्रिक कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए सबसे अच्छा और सही तरीका एंडोस्कोपी है। एंडोस्कोपी एक पतली नली होती है, जिसके आगे कैमरा लगा होता है। इसे मुंह से पेट के अंदर भेजा जाता है। इससे डॉक्टर पेट की अंदरूनी सतह को साफ-साफ देख सकते हैं। अगर किसी जगह कुछ गलत दिखाई देता है, तो वहां से सैंपल लेकर जांच (बायोप्सी) की जाती है।
स्क्रीनिंग से पेट का कैंसर (स्ट्रिक कैंसर) शुरुआती स्टेज में पकड़ा जा सकता है, जिससे इलाज आसान और सफल हो पाता है।
गैस्ट्रिक कैंसर इलाज के तरीके
अगर गैस्ट्रिक कैंसर की पुष्टि हो जाती है, तो इलाज की योजना कैंसर की स्टेज के अनुसार बनाई जाती है। इलाज में मुख्य रूप से निम्नलिखित तरीके होते हैं:
- सर्जरी: यदि कैंसर शुरूआती स्टेज में है तो सर्जरी से उसे निकाला जा सकता है
- कीमोथेरेपी: इसमें दवाओं से कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है
- रेडियोथेरेपी: इसमें रेडिएशन की मदद से ट्यूमर को खत्म किया जाता है
- टारगेटेड थेरेपी: कुछ विशेष मामलों में कैंसर के लिए खास दवाएं दी जाती हैं
डॉक्टर यह तय करता है कि किस मरीज को कौन-सा इलाज सबसे अच्छा रहेगा।
आज ही परामर्श लें
गैस्ट्रिक कैंसर एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य बीमारी है। इसे पेट का कैंसर भी कहा जाता है और कई लोग इसे स्ट्रिक कैंसर के नाम से भी जानते हैं। अगर इसके लक्षणों को समय पर पहचाना जाए और सही जांच करवाई जाए, तो इसका इलाज संभव है। एंडोस्कोपी और बायोप्सी इसके सबसे जरूरी टेस्ट माने जाते हैं। जिन लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है, उन्हें समय-समय पर स्क्रीनिंग करवानी चाहिए। साथ ही, जीवनशैली में बदलाव और साफ-सुथरा खाना खाने से भी इस बीमारी से बचा जा सकता है।
अगर आपको या आपके किसी अपने को गैस्ट्रिक कैंसर से जुड़े लक्षण नजर आ रहे हैं, तो तुरंत जांच करवाना जरूरी है। इसके लिए आप Oncare Hospital जैसे भरोसेमंद और अनुभवी कैंसर सेंटर का चयन कर सकते हैं, जहां आधुनिक तकनीक, विशेषज्ञ डॉक्टर और बेहतरीन सुविधा मिलती है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
गैस्ट्रिक कैंसर पेट की अंदरूनी परत में बनने वाला कैंसर है, जिसे पेट का कैंसर या स्ट्रिक कैंसर भी कहा जाता है।
पेट दर्द, गैस, वजन कम होना, भूख न लगना, उल्टी या खून आना इसके सामान्य लक्षण हैं।
एंडोस्कोपी और बायोप्सी इसके लिए सबसे जरूरी और सटीक जांच मानी जाती हैं।
हाँ, अगर बीमारी समय रहते पकड़ में आ जाए तो सर्जरी, कीमोथेरेपी और अन्य इलाज से इसे ठीक किया जा सकता है।
साफ और ताजा खाना खाना, तंबाकू-शराब से दूर रहना, समय पर जांच कराना और हेल्दी जीवनशैली अपनाना मददगार होता है।
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