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भारत में ईसोफैगल कैंसर के मामले: बढ़ते खतरे और बचाव के उपाय
कल्पना कीजिए कि आपकी रोज़ की चाय इतनी गर्म हो कि एक बार पीते ही गला जलन महसूस हो, हर घूँट के साथ निगलने में दर्द हो। शुरुआत में आप इसे हल्का जलन मान लेते हैं, लेकिन समय के साथ यह दर्द बढ़ता है, खाने में तकलीफ होती है और वजन घटने लगता है। क्या आप जानते हैं कि यह ईसोफैगल कैंसर (esophageal cancer in hindi) की शुरुआती चेतावनी हो सकती है? भारत में इसकी बढ़ती घटनाएँ चिंतित कर रही हैं। इस लेख में जानेंगे कि इस बीमारी के क्या कारण हैं, लक्षण कैसे पहचानें, और बचाव के उपाय ताकि समय रहते सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
ईसोफैगल कैंसर क्या है?
ईसोफैगस (esophagus) भोजन नलिका है, गले (घोंट) से पेट तक भोजन पहुंचाती है। जब इस नलिका की अंदर की कोशिकाएँ असामान्य तरीके से बढ़ कर ट्यूमर (कैंसर) बना लेती हैं, तो यही ईसोफैगल कैंसर कहलाता है। यह कैंसर दो मुख्य प्रकारों में होता है:
- स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma): जो अधिकतर गले से मध्य ईसोफैगस तक कोशिकाओं में बनता है।
- एडेनोसार्कोमा (Adenocarcinoma): जिसमे ग्रंथियों (glandular cells) में कैंसर होता है, अक्सर ईसोफैगस के नीचे के भाग और पेट के पास।
भारत में आंकड़े और बढ़ता खतरा
संख्या और स्थान
विश्वस्तर पर, 2022 में कुल लगभग 5,11,054 नए मामले हुए, जिनमें से लगभग 70,637 मामले भारत से थे।
कुछ राज्य जैसे असम, मेघालय, नागालैंड आदि में ईसोफैगल कैंसर की दर बहुत अधिक है।
उम्र और लिंग
आमतौर पर यह बीमारी 45‑70 वर्ष की उम्र के बीच अधिक देखी जाती है। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में यह ज़्यादा सामान्य है।
बढ़ते कारण
भारत में बदलती जीवन‑शैली, अस्वस्थ भोजन, तंबाकू उपयोग, अत्यधिक गर्म पेय पदार्थों का सेवन, और शहरी इलाकों में बढ़ती तनाव तथा प्रदूषण भी इसके बढ़ने के मुख्य कारण हैं।
मुख्य कारण (Risk Factors)
नीचे वे कारण दिए हैं जो भारत में ईसोफैगल कैंसर के बढ़ा देने वाले हैं:
- तंबाकू और बीड़ी‑सिगरेट का उपयोग: धूम्रपान और तंबाकू चबाने से खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
- अत्यधिक शराब सेवन: नियमित और अधिक मात्रा में शराब पीने से ईसोफैगल कैंसर का जोखिम बढ़ता है।
- बहुत गर्म पेय पदार्थ (जैसे चाय, गलत तापमान पर) पीना: इससे खाने की नली (food pipe) की अंदर की सतह पर जलन होती है, जो बाद में कैंसर का कारण बन सकती है।
- खराब पोषण और हरी पत्तेदार सब्जियों व फलों की कमी: विटामिन, खनिज व फाइबर की कमी से हमारी प्रतिरक्षा (immune system) कमजोर होती है और कोशिकाएँ आसानी से अस्वाभाविक बदलाव कर सकती हैं।
- जीआरडी (GERD), एसोफैगस में लगातार जलन: अम्ल या अपच की समस्या यदि लंबे समय से बनी हो तो भी कोशिकाएँ प्रभावित हो सकती हैं।
लक्षण और चेतावनियाँ (Symptoms)
ईसोफैगल कैंसर अक्सर शुरुआत में धीरे‑धीरे बढ़ता है; नीचे कुछ सामान्य लक्षण हैं:
- निगलने में कठिनाई (especially ठोस भोजन से) या खाना गले में अटकना
- बिना वजह वजन घटना
- सीने या गले में दर्द या जलन महसूस होना
- अक्सर एसिडिटी या हार्टबर्न की शिकायत होना
- आवाज़ बदलना, खांसी या गले में खरोंच जैसी समस्या होना
- कभी‑कभी रक्त या भोजन उलटा निकलना (vomiting)
यदि ये लक्षण लगातार कुछ हफ्तों से अधिक समय हो रहे हों, तो तुरंत डॉक्टर से दिखाएँ।
निदान (Diagnosis)
ईसोफैगल कैंसर का पता लगाने के लिए ये परीक्षण किए जाते हैं:
- एंडोस्कोपी (Endoscopy): गले से एक पतला कैमरा युक्त ट्यूब डाल कर देखा जाता है।
- बायोप्सी (Biopsy): असामान्य क्षेत्र से कोशिका निकाल कर जांच करना।
- इमेजिंग परीक्षण जैसे CT scan, PET scan, MRI: यह जानने के लिए कि कैंसर किसी दूसरी जगह तक फैला है या नहीं।
- रक्त‑जांच और अन्य सामान्य चेक‑अप: शरीर की सामान्य स्थिति जानने के लिए।
उपचार विकल्प
इलाज का तरीका इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्थिति में है (stage), कितना फैला है, रोगी की उम्र और स्वास्थ्य स्थिति क्या है:
- सर्जरी (Surgery): यदि कैंसर जल्दी पकड़ा जाए, तो प्रभावित हिस्से को निकालना (esophagectomy) संभव है।
- कीमोथेरेपी (Chemotherapy) और रेडियोथेरेपी (Radiation Therapy): सर्जरी से पहले या बाद में, ताकि बेहतर परिणाम मिलें।
- कीमो‑रेडियो संयोजन (Chemoradiation): दोनों तरीकों को मिलाकर।
- लक्षित चिकित्सा (Targeted Therapy) एवं इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy): विशेष लाभ तब जब कैंसर उन्नत हो या अन्य उपचार काम न कर रहे हों।
- पालियेटिव देखभाल (Palliative Care): जब कैंसर बहुत आगे हो चुका हो, तो लक्षणों को कम करना और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाना मकसद होता है।
बचाव के उपाय (Prevention Strategies)
ईसोफैगल कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही जीवनशैली और सावधानियों से इससे बचाव संभव है। नीचे कुछ आसान और प्रभावी उपाय दिए गए हैं, जिनका पालन करके आप अपने आपको इस खतरे से बचा सकते हैं।
तंबाकू छोड़ें
तंबाकू के किसी भी रूप का सेवन (धूम्रपान, बीड़ी, सिगरेट, चूरा या पान मसाला) इस कैंसर का सबसे बड़ा खतरा बढ़ाने वाला कारण है। तंबाकू में मौजूद विषैले तत्व खाने की नली की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर का कारण बन सकते हैं। इसलिए तंबाकू पूरी तरह छोड़ना ही बेहतर उपाय है।
शराब का सेवन कम या बंद करें
अत्यधिक शराब पीने से भी ईसोफैगल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। शराब के कारण नली की कोशिकाओं की सतह कमजोर हो जाती है और वह कैंसर के लिए अधिक संवेदनशील हो जाती है। इसलिए शराब का सेवन सीमित मात्रा में करें या पूरी तरह बंद कर दें।
खाने‑पीने का तापमान सही रखें
भारत में लोग अक्सर बहुत गर्म चाय या अन्य पेय पीते हैं। अत्यधिक गर्म पेय पदार्थ नली की अंदरूनी सतह को जलन पहुंचाते हैं, जो धीरे‑धीरे कैंसर का कारण बन सकता है। इसलिए चाय या कॉफी को उबलते हुए न पिएं, उसे थोड़ा ठंडा या सामान्य गर्म रखें।
स्वस्थ और संतुलित आहार लें
फल‑सब्जियाँ, हरी पत्तेदार सब्जियां, और फाइबर से भरपूर भोजन ईसोफैगल कैंसर से बचाव में मदद करता है। ये खाद्य पदार्थ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं और कैंसर होने की संभावना को कम करते हैं। तली‑भुनी और ज्यादा मसालेदार चीजों से बचें।
जीआरडी (GERD) के लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें
यदि आपको एसिडिटी, सीने में जलन या अम्ल उल्टी की समस्या लंबे समय से हो रही है, तो इसे हल्के में न लें। समय रहते इलाज कराने से ईसोफैगल कैंसर का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।
नियमित जांच कराएँ
यदि आपके परिवार में किसी को पहले ईसोफैगल कैंसर हो चुका है, या आप तंबाकू, शराब का सेवन करते हैं, तो समय-समय पर डॉक्टर से स्क्रीनिंग कराते रहें। इससे बीमारी को शुरुआती अवस्था में पकड़ कर बेहतर इलाज संभव हो पाता है।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ
दिन भर में पर्याप्त पानी पिएं, नियमित व्यायाम करें, और वजन नियंत्रित रखें। स्वस्थ जीवनशैली न केवल कैंसर से बचाव करती है बल्कि सम्पूर्ण शरीर को मजबूत बनाती है।
चुनौतियाँ और रोकथाम में बाधाएँ
- लक्षण अक्सर शुरुआत में हल्के होते हैं, इसलिए लोग समय रहते डॉक्टर नहीं दिखाते।
- स्वास्थ्य सेवाएँ दूर‑दराज के इलाकों में कम उपलब्ध हैं।
- लोकप्रिय आदतें जैसे गर्म चाय, तंबाकू और शराब, सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से गहरे जमी हुई हैं।
- आर्थिक समस्या: इलाज महँगा हो सकता है, और कई ही लोग उच्च‑स्तरीय अस्पतालों तक पहुँच पाते हैं।
आज ही परामर्श लें
ईसोफैगल कैंसर भारत में एक गंभीर लेकिन बचने योग्य बीमारी है। यदि आप अपने खान‑पान पर ध्यान दें, तंबाकू तथा अत्यधिक गर्म पेय से बचें, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ, और समय रहते किसी भी लक्षण पर चिकित्सा सलाह लें तो इस कैंसर का ख़तरा काफी कम किया जा सकता है।
अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को ईसोफैगल कैंसर का सामना करना पड़ रहा है, तो Oncare Cancer Hospital बेहतरीन विकल्प है। वहाँ विशेषज्ञ डॉक्टर, आधुनिक इलाज के तरीके, और मरीज‑केन्द्रित सेवा मिलती है जो समय रहते निदान और उपचार सुनिश्चित करती है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
नहीं, शुरुआत में यह हल्की असुविधा या जलन जैसा महसूस हो सकता है। जैसे ही ट्यूमर बड़ा होता है, खाने‑पीने या निगलने में कठिनाई बढ़ जाती है।
सिर्फ एक कारण नहीं है। चाय बहुत गर्म हो और साथ में अन्य जोखिम जैसे तंबाकू, शराब, खराब आहार आदि हों, तो खतरा बढ़ता है।
हाँ, यद्यपि उम्र बढ़ने के साथ जोखिम अधिक होता है, पर युवा भी प्रभावित हो सकते हैं विशेषकर अगर जीवनशैली जोखिम भरी हो।
शुरुआत में पकड़ा जाए तो इलाज संभव है। सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी आदि मिलकर कैंसर को हटाने या नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
लागत कई बातों पर निर्भर करती है अस्पताल, रोगी की सेहत, कैंसर का स्टेज आदि। लगभग शुरुआत‑के स्टेज में इलाज सस्ता हो सकता है; उन्नत स्टेज में अधिक खर्च आ सकता है।
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