कुछ मरीज कीमोथेरपी से क्यों बचते हैं? फायदे और नुकसान

oncare team
Updated on Dec 20, 2025 17:40 IST

By Prashant Baghel

जब किसी इंसान को कैंसर होने की बात पता चलती है, तो उसकी पूरी दुनिया जैसे रुक सी जाती है। डर, घबराहट और अनगिनत सवाल एक साथ मन में आने लगते हैं। इलाज को लेकर सबसे पहला नाम जो अक्सर सुनाई देता है, वह है कीमोथेरपी। लेकिन जैसे ही यह शब्द सामने आता है, बहुत से मरीज और उनके परिवार के लोग घबरा जाते हैं। किसी ने बाल झड़ने की बात सुनी होती है, किसी ने कमजोरी की, तो किसी ने दर्द और उल्टी की कहानियां।

इसी डर और अनुभवों की वजह से कई मरीज यह सोचने लगते हैं कि क्या कीमोथेरपी से बचा जा सकता है। क्या इसके बिना भी इलाज संभव है। क्या इसके नुकसान फायदे से ज्यादा हैं। यही वजह है कि कीमोथेरपी से बचने के कारण आज एक आम और जरूरी विषय बन चुका है। इस लेख में हम इसी सवाल को बहुत आसान तरीके से समझेंगे, ताकि डर की जगह समझ आ सके और फैसला सोच-समझकर लिया जा सके।

कीमोथेरपी क्या होती है?

कीमोथेरपी कैंसर के इलाज की एक ऐसी विधि है जिसमें दवाओं के जरिए कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने की कोशिश की जाती है। ये दवाएं शरीर में जाकर तेजी से बढ़ने वाली कोशिकाओं पर असर करती हैं। क्योंकि कैंसर कोशिकाएं बहुत तेजी से बढ़ती हैं, इसलिए कीमोथेरपी उन्हें निशाना बनाती है।

लेकिन इसके साथ-साथ शरीर की कुछ स्वस्थ कोशिकाएं भी इसकी चपेट में आ जाती हैं, जैसे बालों की जड़ें, पाचन तंत्र और खून बनाने वाली कोशिकाएं। यही वजह है कि कीमोथेरपी के दौरान कुछ साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं।

कीमोथेरपी से बचने के कारण क्या होते हैं?

कीमोथेरपी से बचने के कारण हर मरीज में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ कारण शारीरिक होते हैं, तो कुछ मानसिक और भावनात्मक।

सबसे बड़ा कारण होता है साइड इफेक्ट का डर। बहुत से मरीज पहले से किसी ऐसे व्यक्ति को जानते होते हैं जिसने कीमोथेरपी ली हो और उसे काफी तकलीफ हुई हो। बाल झड़ना, लगातार उल्टी, कमजोरी, थकान और संक्रमण का खतरा मरीज को अंदर से डरा देता है।

कुछ मरीजों की उम्र ज्यादा होती है या उन्हें पहले से दिल, किडनी या लिवर की समस्या होती है। ऐसे मामलों में डॉक्टर भी बहुत सोच-समझकर कीमोथेरपी की सलाह देते हैं। मरीज को लगता है कि कहीं इलाज शरीर पर ज्यादा भारी न पड़ जाए।

मानसिक कारण भी बहुत अहम होते हैं। कैंसर का नाम ही इंसान को अंदर से तोड़ देता है और कीमोथेरपी की लंबी प्रक्रिया मरीज को और थका देती है। बार-बार अस्पताल जाना, इंजेक्शन लगना और खुद को कमजोर महसूस करना कई लोगों को स्वीकार नहीं होता।

कीमोथेरपी से बचने के फायदे क्या हो सकते हैं?

साइड इफेक्ट्स से बचाव

कुछ मामलों में अगर कैंसर शुरुआती स्टेज में है और सर्जरी या रेडिएशन से पूरी तरह हटाया जा सकता है, तो कीमोथेरपी की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसे में मरीज की रोजमर्रा की जिंदगी पर कम असर पड़ता है और वह कीमोथेरपी से होने वाले साइड इफेक्ट्स से बच जाता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता पर सकारात्मक असर

कुछ मरीजों में शरीर की इम्यून सिस्टम पहले से कमजोर होती है। कीमोथेरपी से बचने पर संक्रमण का खतरा कम हो सकता है और शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा बनी रहती है।

मानसिक स्वास्थ्य में सुधार

कीमोथेरपी की प्रक्रिया कई मरीजों के लिए डरावनी और मानसिक रूप से थकाने वाली हो सकती है। यदि इसे टाला जा सके, तो मरीज खुद को मानसिक रूप से मजबूत महसूस करता है और चिंता या तनाव कम होता है।

कीमोथेरपी से बचने के नुकसान क्या हो सकते हैं?

जहां फायदे हो सकते हैं, वहीं नुकसान को समझना भी उतना ही जरूरी है। कई बार कीमोथेरपी से बचने का फैसला नुकसानदायक साबित हो सकता है।

अगर कैंसर शरीर में फैलने की संभावना रखता है और कीमोथेरपी जरूरी है, तो उससे बचने पर कैंसर दोबारा लौट सकता है या और तेजी से फैल सकता है। कई मामलों में कीमोथेरपी कैंसर की जड़ों को खत्म करने का काम करती है, जो बाहर से दिखाई नहीं देतीं।

कुछ मरीज साइड इफेक्ट के डर से इलाज टालते रहते हैं और जब तक फैसला लेते हैं, तब तक बीमारी आगे बढ़ चुकी होती है। इसलिए कीमोथेरपी से बचने के कारण समझना जरूरी है, लेकिन उससे पहले डॉक्टर की सलाह को गंभीरता से लेना भी उतना ही जरूरी है।

क्या हर मरीज के लिए कीमोथेरपी जरूरी होती है?

नहीं, हर मरीज के लिए कीमोथेरपी जरूरी नहीं होती। यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस प्रकार का है, किस स्टेज में है और मरीज की सेहत कैसी है।

आज के समय में कई नए इलाज उपलब्ध हैं, जैसे टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी, जो कुछ मरीजों में कीमोथेरपी की जगह या उसके साथ दी जा सकती हैं। लेकिन यह फैसला खुद से नहीं, बल्कि डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए।

कीमोथेरपी को लेकर डर क्यों ज्यादा होता है?

कीमोथेरपी को लेकर डर का सबसे बड़ा कारण अधूरी और गलत जानकारी है। इंटरनेट और लोगों की कहानियां अक्सर इलाज के सबसे मुश्किल हिस्से को ही दिखाती हैं। बहुत कम लोग यह बताते हैं कि आज कीमोथेरपी पहले से काफी सुरक्षित और सहन करने योग्य हो चुकी है।

नई दवाएं साइड इफेक्ट को काफी हद तक कंट्रोल कर लेती हैं। हर मरीज को एक जैसा अनुभव हो, यह जरूरी नहीं। कुछ मरीज इलाज के दौरान भी सामान्य जीवन जी पाते हैं।

सही फैसला कैसे लें?

कीमोथेरपी से बचने के कारण जानना जरूरी है, लेकिन उससे भी जरूरी है सही जानकारी के साथ फैसला लेना। मरीज को चाहिए कि वह अपने डॉक्टर से खुलकर बात करे, सवाल पूछे और हर विकल्प को समझे।

इलाज का उद्देश्य सिर्फ बीमारी को ठीक करना ही नहीं, बल्कि मरीज की जिंदगी की गुणवत्ता को भी बनाए रखना होता है। इसलिए इलाज हमेशा मरीज के अनुसार तय किया जाना चाहिए, न कि डर के आधार पर।

परिवार और मानसिक समर्थन की भूमिका

कई बार मरीज खुद नहीं, बल्कि परिवार के लोग कीमोथेरपी से डरते हैं। ऐसे में परिवार का सही और सकारात्मक सहयोग बहुत जरूरी होता है। मरीज को अकेला महसूस नहीं होना चाहिए।

जब मरीज को भावनात्मक सहारा मिलता है, तो वह इलाज को बेहतर तरीके से सहन कर पाता है और डर धीरे-धीरे कम होने लगता है।

आज ही परामर्श लें

कीमोथेरपी से बचने के कारण समझना गलत नहीं है, लेकिन सिर्फ डर के कारण इलाज से भागना भी सही नहीं है। हर मरीज अलग होता है और हर कैंसर का इलाज भी अलग होता है। सही जानकारी, सही डॉक्टर और सही समय पर लिया गया फैसला ही सबसे बड़ा हथियार होता है।

बेहतर इलाज, अनुभवी कैंसर विशेषज्ञ और मरीज को समझने वाली संवेदनशील टीम के लिए Oncare Cancer Hospital एक भरोसेमंद विकल्प है, जहां आधुनिक इलाज के साथ-साथ मरीज की शारीरिक और मानसिक स्थिति का भी पूरा ध्यान रखा जाता है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

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