कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी से कैसे होता है?

oncare team
Updated on Dec 3, 2025 16:36 IST

By Prashant Baghel

जब किसी व्यक्ति को कैंसर का पता चलता है, तो उसके मन में सबसे पहले डर, चिंता और अनेक सवाल उठने लगते हैं – क्या मैं ठीक हो पाऊँगा? इलाज कितना लंबा होगा? क्या कीमोथेरेपी दर्दनाक होती है?

ये सवाल बिल्कुल सामान्य हैं, क्योंकि कैंसर एक गंभीर बीमारी है। लेकिन आज के समय में कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी के जरिए काफी हद तक आसान, सुरक्षित और प्रभावी हो गया है।

कीमोथेरेपी (Chemotherapy) कैंसर के इलाज की सबसे महत्वपूर्ण और सफल विधियों में से एक है। इस उपचार की मदद से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है ताकि बीमारी आगे न बढ़े और मरीज स्वस्थ जीवन जी सके।

दुनियाभर में लाखों मरीजों ने कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी से नई जिंदगी पाई है। इस पद्धति में ऐसी विशेष दवाओं का उपयोग किया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकती हैं और उन्हें खत्म करती हैं।

आइए इस लेख में बहुत आसान भाषा में विस्तार से समझते हैं कि कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी से कैसे किया जाता है, यह कैसे काम करती है, इसके प्रकार, फायदे, साइड इफेक्ट्स और इलाज के दौरान किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

कीमोथेरेपी क्या है?

कीमोथेरेपी (Chemotherapy) एक ऐसी चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें दवाइयों (Drugs) का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।ये दवाइयाँ शरीर में जाकर उन कोशिकाओं को मारती हैं जो तेजी से बढ़ती और विभाजित होती हैं यही कैंसर कोशिकाओं की मुख्य पहचान होती है।

कीमोथेरेपी का उद्देश्य है:

  • कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकना,
  • पहले से मौजूद कैंसर कोशिकाओं को खत्म करना, और
  • कैंसर को दोबारा लौटने से रोकना।

कीमोथेरेपी कैसे काम करती है?

कैंसर कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं की तुलना में बहुत तेज़ी से बढ़ती और फैलती हैं।कीमोथेरेपी की दवाएं इन कोशिकाओं के विकास चक्र (cell cycle) को प्रभावित करती हैं।दवाइयां शरीर में जाकर कोशिकाओं के डीएनए (DNA) या प्रोटीन को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे वे आगे बढ़ नहीं पातीं और धीरे-धीरे नष्ट हो जाती हैं।

कीमोथेरेपी केवल कैंसर कोशिकाओं को ही नहीं बल्कि कुछ हद तक स्वस्थ कोशिकाओं को भी प्रभावित कर सकती है, इसी कारण से इलाज के दौरान कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं लेकिन अच्छी बात यह है कि स्वस्थ कोशिकाएं समय के साथ फिर से बन जाती हैं।

कीमोथेरेपी के प्रकार

कीमोथेरेपी कई तरीकों से दी जा सकती है, जो मरीज की स्थिति, कैंसर के प्रकार और उसकी स्टेज पर निर्भर करती है।

1. इंट्रावेनस कीमोथेरेपी (Intravenous Chemotherapy)

इसमें दवाइयां नस (vein) के जरिए सीधे खून में दी जाती हैं। यह सबसे सामान्य तरीका है, जिससे दवाएं पूरे शरीर में फैल जाती हैं।

2. ओरल कीमोथेरेपी (Oral Chemotherapy)

कुछ कीमोथेरेपी दवाएं गोलियों या कैप्सूल के रूप में दी जाती हैं, जिन्हें घर पर भी लिया जा सकता है।

3. इंजेक्शन कीमोथेरेपी

दवाइयों को मांसपेशियों (muscle) या त्वचा के नीचे इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है।

4. टॉपिकल कीमोथेरेपी (Topical Chemotherapy)

कुछ कैंसर जैसे स्किन कैंसर के इलाज में दवाओं को क्रीम के रूप में त्वचा पर लगाया जाता है।

5. इंट्राथेकल या इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी

यह तरीका खास प्रकार के कैंसर में इस्तेमाल होता है, जिसमें दवा सीधे शरीर के किसी हिस्से (जैसे रीढ़ की हड्डी या पेट) में दी जाती है।

कीमोथेरेपी की प्रक्रिया (Chemotherapy Process in Hindi)

कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी (Chemotherapy) एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह इलाज एक दिन में पूरा नहीं होता, बल्कि इसे कई “सेशनों” में दिया जाता है जिन्हें सायकल (Cycle) कहा जाता है। हर सायकल के बीच कुछ समय का अंतर इसलिए रखा जाता है ताकि शरीर को आराम और रिकवरी का समय मिल सके।

कीमोथेरेपी की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है आइए इसे सरल भाषा में विस्तार से समझते हैं।

1. इलाज की योजना बनाना (Treatment Planning)

कीमोथेरेपी शुरू करने से पहले डॉक्टर मरीज की पूरी जांच करते हैं।

इस जांच में शामिल होता है:

  • कैंसर की स्टेज और प्रकार की पहचान
  • मरीज की उम्र, वजन और स्वास्थ्य स्थिति
  • पहले दिए गए किसी उपचार (जैसे सर्जरी या रेडिएशन) की जानकारी

इन सभी बातों को ध्यान में रखकर डॉक्टर एक पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट प्लान (Personalized Treatment Plan) बनाते हैं। इस प्लान में यह तय किया जाता है कि कौन सी दवाइयां दी जाएंगी, कितनी मात्रा में और कितने समय तक।

कभी-कभी कीमोथेरेपी को सर्जरी से पहले (Neoadjuvant Therapy) या सर्जरी के बाद (Adjuvant Therapy) भी दिया जा सकता है।

इस चरण में मरीज और परिवार को पूरा बताया जाता है कि इलाज कैसे होगा, कितने सायकल लगेंगे और संभावित साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं ताकि मानसिक रूप से तैयारी हो सके।

2. दवा देना (Administration of Chemotherapy)

दवा देने का तरीका हर मरीज के लिए अलग हो सकता है, क्योंकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर शरीर में कहां है और कौन सी दवाएं उपयोग की जा रही हैं।कीमोथेरेपी देने के मुख्य तरीके ये हैं:

(a) इंट्रावेनस कीमोथेरेपी (Intravenous Chemotherapy)

इसमें दवाओं को नस (vein) के जरिए इंजेक्शन या ड्रिप के रूप में दिया जाता है। यह तरीका सबसे आम है क्योंकि इससे दवा सीधे खून में जाकर पूरे शरीर में फैलती है।

(b) ओरल कीमोथेरेपी (Oral Chemotherapy)

कुछ दवाएं टैबलेट या कैप्सूल के रूप में होती हैं जिन्हें मरीज घर पर भी ले सकता है। यह तरीका आसान और कम जटिल होता है।

(c) इंजेक्शन या टॉपिकल कीमोथेरेपी

कुछ मामलों में दवा इंजेक्शन के जरिए या त्वचा पर लगाने वाली क्रीम के रूप में दी जाती है, जैसे स्किन कैंसर में।

(d) स्पेशलाइज्ड कीमोथेरेपी (Intrathecal/Intraperitoneal)

अगर कैंसर शरीर के किसी विशेष हिस्से, जैसे पेट या रीढ़ की हड्डी के पास है, तो दवा सीधे उसी जगह दी जाती है ताकि असर ज्यादा हो।

दवा देने की पूरी प्रक्रिया डॉक्टर और नर्सों की निगरानी में होती है। आमतौर पर एक सत्र (Session) कुछ घंटे तक चलता है और इसके बाद मरीज को घर भेज दिया जाता है या कभी-कभी 1 दिन के लिए अस्पताल में रखा जाता है।

3. निगरानी (Monitoring During Chemotherapy)

कीमोथेरेपी के दौरान निगरानी (Monitoring) बहुत जरूरी होती है क्योंकि इस इलाज में शक्तिशाली दवाओं का उपयोग होता है।हर सायकल के दौरान डॉक्टर मरीज की शारीरिक स्थिति, ब्लड रिपोर्ट, और लक्षणों पर नजर रखते हैं।

अगर मरीज को उल्टी, थकान, या संक्रमण जैसे साइड इफेक्ट्स महसूस होते हैं तो डॉक्टर तुरंत दवाओं की खुराक समायोजित करते हैं या राहत के लिए सहायक दवाएं देते हैं।

कभी-कभी कीमोथेरेपी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immune system) अस्थायी रूप से कम हो जाती है, इसलिए मरीज को विशेष देखभाल और सफाई का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।

डॉक्टर यह भी सुनिश्चित करते हैं कि इलाज के दौरान मरीज को पर्याप्त पोषण, आराम और मानसिक सहयोग मिले ताकि शरीर और मन दोनों मजबूत बने रहें।

4. फॉलो-अप टेस्ट (Follow-up Tests and Evaluation)

हर कुछ सायकल पूरे होने के बाद डॉक्टर फॉलो-अप टेस्ट करवाते हैं ताकि यह देखा जा सके कि कीमोथेरेपी का असर कितना हुआ है। इन टेस्ट में शामिल हो सकते हैं:

  • ब्लड टेस्ट: खून में कैंसर मार्कर या अन्य बदलावों की जांच।
  • CT स्कैन या MRI: यह देखने के लिए कि ट्यूमर का आकार कम हुआ है या नहीं।
  • PET स्कैन: शरीर में कैंसर कोशिकाओं की गतिविधि जांचने के लिए।

इन रिपोर्टों के आधार पर डॉक्टर अगली कीमोथेरेपी सायकल की योजना बनाते हैं।अगर इलाज अच्छे परिणाम दिखा रहा हो, तो दवा की मात्रा या सायकल की संख्या घटाई जा सकती है।कभी-कभी अगर शरीर बहुत कमजोर हो जाए, तो सायकल के बीच में थोड़ा अतिरिक्त समय भी दिया जाता है ताकि मरीज रिकवर कर सके।

आज ही परामर्श लें

कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी से आज चिकित्सा विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि है। यह न केवल कैंसर को नियंत्रित करती है बल्कि कई मामलों में मरीज को पूरी तरह ठीक भी कर देती है। सही समय पर उपचार, नियमित जांच और विशेषज्ञ डॉक्टर की देखरेख से यह बीमारी पूरी तरह नियंत्रित की जा सकती है।

अगर आप या आपके किसी प्रियजन को कैंसर के इलाज की जरूरत है, तो OnCare Cancer Hospital एक भरोसेमंद नाम है।यहां अनुभवी डॉक्टर, आधुनिक तकनीक और मानवीय संवेदनाओं के साथ हर मरीज को बेहतरीन इलाज और देखभाल दी जाती है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

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