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हड्डी के कैंसर के लिए स्क्रीनिंग और डायग्नोसिस टेस्ट की जानकारी

हड्डी का कैंसर (bone cancer in hindi) एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही डर लग सकता है, लेकिन अच्छी बात यह है कि यह बहुत ही कम लोगों को होता है यानी यह दुर्लभ है। फिर भी, अगर किसी की हड्डियों में लगातार दर्द हो, सूजन हो या कुछ असामान्य लक्षण दिखें, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
ऐसे मामलों में समय पर जांच करवाना बहुत जरूरी होता है। जांच के दो मुख्य हिस्से होते हैं स्क्रीनिंग, जो शुरुआती जांच होती है, और डायग्नोसिस टेस्ट, जो यह तय करते हैं कि बीमारी है या नहीं। अगर यह टेस्ट सही समय पर करवा लिए जाएँ, तो बीमारी की जल्दी पहचान हो सकती है और इलाज आसान हो सकता है। इस लेख में हम आसान भाषा में समझेंगे कि हड्डी के कैंसर की जांच कैसे होती है, कौन-कौन से टेस्ट किए जाते हैं और ये कैसे मदद करते हैं।
हड्डी का कैंसर क्या है?
“हड्डी का कैंसर” (Bone Cancer) वह स्थिति है जिसमें हड्डी की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और हड्डी तथा आसपास की संरचनाओं को नुकसान पहुँचाती हैं। यह दो प्रकार का हो सकता है:
- प्राथमिक हड्डी कैंसर : कैंसर सीधे हड्डी में शुरू हो।
- मेटास्टेटिक हड्डी कैंसर : शरीर के किसी अन्य हिस्से का कैंसर फैल कर हड्डियों तक पहुँच जाए।
क्या स्क्रीनिंग संभव है हड्डी कैंसर के लिए?
स्क्रीनिंग का अर्थ होता है बिना किसी साफ़ लक्षण के पहले से ही यह जांच करना कि कहीं किसी को कैंसर तो नहीं है। लेकिन हड्डी के कैंसर के मामले में अभी तक ऐसा कोई ठोस या आमतौर पर इस्तेमाल होने वाला स्क्रीनिंग टेस्ट नहीं है। इसका मुख्य कारण यह है कि हड्डी का कैंसर बहुत ही दुर्लभ होता है, इसलिए पूरी आबादी में इसकी नियमित स्क्रीनिंग करना व्यावहारिक नहीं माना जाता।
हालांकि, कुछ लोगों में इसके खतरे अधिक हो सकते हैं, जैसे जिनके परिवार में कैंसर रहा हो, जिन्हें पहले रेडिएशन (विकिरण) थेरेपी दी गई हो, या जिनमें कुछ खास आनुवंशिक (जन्मजात) समस्याएँ हों। ऐसे लोगों के लिए डॉक्टर समय-समय पर कुछ जरूरी जांचें करवाने की सलाह दे सकते हैं।
अधिकतर मामलों में हड्डी के कैंसर की शुरुआत तब पता चलती है जब व्यक्ति को लगातार हड्डी में दर्द होता है, सूजन आती है, या हड्डी अचानक से कमजोर होकर टूट जाती है। तब जाकर डॉक्टर जांच की प्रक्रिया शुरू करते हैं। इसलिए हड्डी कैंसर के लिए स्क्रीनिंग की उम्मीद भले कम हो, लेकिन अगर कोई लक्षण दिखे या जोखिम हो, तो सतर्क रहना और समय-समय पर जांच करवाना बहुत ज़रूरी है।
हड्डी के कैंसर का पता कैसे लगाया जाता है
जब डॉक्टर को संदेह हो कि हड्डी में कुछ गड़बड़ी है, तो वे निम्न परीक्षण (tests) करते हैं। ये परीक्षण मिलकर यह निश्चित करते हैं कि वास्तव में कैंसर है या नहीं, और यदि है तो कितनी व्यापक है।नीचे विस्तार से मुख्य टेस्ट दिए हैं:
1. मेडिकल इतिहास और शारीरिक परीक्षण
पहला कदम डॉक्टर आपसे पूछेंगे आपके लक्षणों के बारे में जैसे- दर्द का समय, बढ़ने का पैटर्न, अन्य लक्षण (सूजन, कमजोरी आदि)। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि कई अन्य गैर-कैंसर हड्डी रोग भी ऐसा कर सकते हैं।
फिर शरीरिक परीक्षा की जाएगी जहाँ डॉक्टर हड्डी के पास दबाव देकर देखेंगे, सूजन है या कोई गांठ है, हिलने-डुलने की सीमा (range of motion) कैसी है।
2. इमेजिंग (Imaging) टेस्ट ( हड्डी कैंसर की तस्वीरों से पहचान )
इमेजिंग टेस्ट शरीर के अंदर की तस्वीरें लेकर यह दिखाते हैं कि हड्डी में कहाँ समस्या है, ट्यूमर कैसा है और कितना फैला है।
मुख्य इमेजिंग टेस्ट:
- X‑ray (एक्स-रे): पहला और सबसे आम टेस्ट। यह दिखा सकता है कि हड्डी में कोई छेद, असामान्यता या ट्यूमर है या नहीं।
- MRI (एमआरआई): यह टेस्ट नरम ऊतकों, बोन मैरो और ट्यूमर की गहराई से जानकारी देता है।
- CT स्कैन: यह हड्डियों और शरीर के अन्य हिस्सों की 3D छवि देता है। यह देखने में मदद करता है कि कैंसर कहीं और फैला है या नहीं।
- Bone Scan (हड्डी स्कैन): एक खास ट्रेसर दिया जाता है, जो ट्यूमर वाली जगहों पर जमा होकर “hot spot” बनाता है। इससे पता चलता है कि हड्डी में कैंसर है या नहीं।
- PET / PET-CT स्कैन: इसमें शरीर में रेडियोएक्टिव शर्करा दी जाती है, जो कैंसर कोशिकाओं को खोजने में मदद करती है। PET‑CT स्कैन कैंसर के फैलाव की सटीक जानकारी देता है।
3. बायोप्सी (Biopsy)
इमेजिंग से हमें संकेत मिल सकते हैं कि वहाँ ट्यूमर है, लेकिन यह तय करने के लिए कि वह कैंसर है या नहीं, बायोप्सी ज़रूरी है। इसमें डॉक्टर गड़बड़ हिस्से से थोड़ी कोशिकाएँ या ऊतक (tissue) निकालते हैं और लैब में जाँच करते हैं। बायोप्सी के दो मुख्य प्रकार हैं:
- नीडल बायोप्सी (Needle Biopsy): एक पतली सुई के द्वारा त्वचा के माध्यम से ऊतक लिया जाता है।
- सर्जिकल (Open) बायोप्सी: यदि सुई बायोप्सी पर्याप्त नहीं हो, तो सर्जन एक छोटी चीर (incision) करके ऊतक निकाल लेते हैं।
बायोप्सी के नमूने को pathologist (मिश्र कोशिका विशेषज्ञ) द्वारा माइक्रोस्कोप आदि द्वारा जाँचा जाता है। इस परीक्षण से यह पता चलता है:
- क्या यह कोशिका कैंसर की है या नहीं
- किस प्रकार का कैंसर है (उदाहरण – osteosarcoma, Ewing sarcoma आदि)
- कोशिकाओं की ग्रेडिंग यानी यह कितनी तेजी से बढ़ रही है
4. लैब परीक्षण (Lab Tests) / रक्त जाँच
रक्त की जाँच सीधे हड्डी कैंसर को नहीं दिखाती, लेकिन यह अन्य सहायक जानकारी देती है।
कुछ महत्वपूर्ण जाँचें:
- Alkaline Phosphatase (ALP): यदि यह बढ़ा हो, तो हड्डी में असामान्य बदलाव हो सकते हैं।
- Lactate Dehydrogenase (LDH): यह ऊतकों में कोशिका टूटने का संकेत दे सकता है।
- कैल्शियम (Calcium) स्तर: कभी-कभी हड्डी कैंसर हड्डी से कैल्शियम रक्त में छोड़े, जिससे इसका स्तर बढ़ सकता है।
- Complete Blood Count (CBC): लाल रक्त कोशिकाएँ, सफेद रक्त कोशिका आदि जाँची जाती हैं
- रक्त रसायन (Blood Chemistry): यकृत (liver), गुर्दे (kidney) आदि के कार्य की जानकारी देता है, जिससे यह पता चले कि शरीर अन्य परीक्षण या इलाज के लिए कितनी तैयार है।
5. अतिरिक्त परीक्षण एवं स्टेजिंग (Further Tests & Staging)
जब यह स्पष्ट हो जाए कि हड्डी में कैंसर है, तो अगला कदम यह जानना है कि कैंसर कहां तक फैला है इसे स्टेजिंग कहते हैं। स्टेजिंग जानने से इलाज की योजना बनाई जाती है।
कुछ अतिरिक्त परीक्षण हो सकते हैं:
- छोटी अंगों की जाँच (Chest CT या Chest X-ray): यह देखने के लिए कि फेफड़ों में कैंसर फैला है या नहीं।
- PET / PET-CT स्कैन: पूरे शरीर में देखना कि क्या कहीं और भी रोग चिह्न हैं।
- Bone marrow biopsy (हड्डी मज्जा की बायोप्सी): विशेषकर Ewing sarcoma जैसे मामलों में, यह जाँचने के लिए कि क्या कैंसर हड्डी के अंदर मज्जा (bone marrow) तक गया है।
- Genetic / Molecular Testing (आण्विक जाँच): बायोप्सी नमूने पर विशेष जाँच कि कोशिकाओं में कौन से जीन या बदलाव हैं। यह जानकारी उपचार रणनीति में मदद करती है।
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हड्डी के कैंसर ( bone cancer in hindi ) के लिए स्क्रीनिंग और डायग्नोसिस टेस्ट की जानकारी विषय इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि यदि समय रहते पहचान हो, तो इलाज की संभावनाएँ बेहतर हो सकती हैं। भले ही हड्डी कैंसर के लिए अभी तक कोई सार्वभौमिक स्क्रीनिंग टेस्ट न हो, लेकिन यदि लक्षण दिखें तो तुरंत जाँच करवाना और सही निदान पाना बहुत ज़रूरी है।
इस आर्टिकल में हमने आसान भाषा में समझा कि किन परीक्षणों से हड्डी कैंसर का पता लगाया जाता है जैसे मेडिकल इतिहास, इमेजिंग टेस्ट (X-ray, MRI, CT, Bone Scan, PET), बायोप्सी, रक्त जांच और अन्य स्टेजिंग टेस्ट। इन सभी परीक्षणों के परिणामों को देखकर डॉक्टर यह तय करते हैं कि कैंसर किस प्रकार का है, कितना फैला है और किस तरह का इलाज करना सबसे सही होगा।
यदि आपको या आपके किसी अपने को हड्डी में लगातार दर्द, सूजन या कोई असामान्य लक्षण दिखें तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। तुरंत एक योग्य डॉक्टर से मिलें और जरूरी जांच करवाएं। आप हड्डी कैंसर के विशेषज्ञ इलाज के लिए Oncare Hospital पर भरोसा कर सकते हैं, जहाँ अनुभवी डॉक्टर, अत्याधुनिक तकनीक और मरीज़-केंद्रित देखभाल मिलती है। समय पर निदान और सही इलाज आपकी ज़िंदगी बचा सकता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
हड्डी के कैंसर के लिए कोई सामान्य स्क्रीनिंग टेस्ट नहीं है, लेकिन यदि जोखिम हो तो डॉक्टर निगरानी की सलाह दे सकते हैं।
इमेजिंग टेस्ट, बायोप्सी और रक्त जांच से हड्डी के कैंसर की पुष्टि की जाती है।
लगातार हड्डी में दर्द और सूजन इसका सबसे सामान्य लक्षण होता है।
X-ray शुरुआती संकेत दे सकता है, लेकिन पुष्टि के लिए MRI, CT या बायोप्सी जरूरी होती है।
हाँ, कुछ प्रकार के हड्डी कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकते हैं, जिसे मेटास्टेसिस कहते हैं।
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