भारत में कैंसर की लेज़र थेरेपी: कीमत, उपलब्धता और पूरी जानकारी

oncare team
Updated on Dec 29, 2025 18:16 IST

By Prashant Baghel

कैंसर के नाम सुनते ही बहुत लोगों के मन में डर और चिंता पैदा हो जाती है। खासकर जब यह बात आती है इलाज की, तो सवाल उठते हैं - इलाज कितना महंगा होगा, कितने समय लगेगा और कौन सा तरीका सबसे सुरक्षित है।

आज के समय में, लेज़र थेरेपी एक आधुनिक और प्रभावी विकल्प बन गया है। भारत में कैंसर की लेज़र थेरेपी तेजी से लोकप्रिय हो रही है क्योंकि यह सर्जरी की तुलना में कम दर्दनाक और तेजी से ठीक होने वाला तरीका है।

लेज़र थेरेपी, जिसे लाइट थेरेपी या लेज़र रेडिएशन भी कहा जाता है, कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करती है। यह तकनीक उच्च ऊर्जा वाले लेज़र बीम का उपयोग करती है, जो कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित करता है जबकि आसपास के स्वस्थ टिश्यू को सुरक्षित रखता है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से छोटे या सतही ट्यूमर में किया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में इसे अन्य इलाज के साथ भी जोड़ा जाता है।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारत में लेज़र थेरेपी कैसे काम करती है, इसके फायदे क्या हैं, कीमत और उपलब्धता के बारे में पूरी जानकारी, और क्यों यह कैंसर इलाज का भरोसेमंद विकल्प बन गई है।

भारत में लेज़र थेरेपी का महत्व

भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बड़े शहरों में आधुनिक अस्पताल और विशेषज्ञ डॉक्टरों की सुविधा उपलब्ध है। ऐसे में लेज़र थेरेपी का महत्व बढ़ जाता है क्योंकि यह कम समय में इलाज संभव बनाती है और मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं पड़ती।

कम समय में असर और अस्पताल में रहने की अवधि कम

लेज़र थेरेपी भारत में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कम समय में इलाज संभव बनाती है और मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं पड़ती।

दर्द और संक्रमण का कम जोखिम

इसके अलावा, यह तरीका दर्द और संक्रमण के जोखिम को कम करता है।

तेज़ रिकवरी और सामान्य जीवन में लौटना

लेज़र थेरेपी का फायदा यह है कि मरीज सामान्य जीवन में जल्दी लौट सकते हैं। कई मरीज केवल एक या दो सेशन में अपने ट्यूमर पर असर देख पाते हैं।

कमजोर मरीजों और जोखिमपूर्ण सर्जरी के लिए उपयोगिता

यह विधि खासकर उस समय उपयोगी होती है जब मरीज शारीरिक रूप से कमजोर हो या सर्जरी का विकल्प जोखिम भरा हो।

लेज़र थेरेपी कैसे काम करती है

लेज़र थेरेपी में उच्च ऊर्जा वाली रोशनी का इस्तेमाल करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। यह रोशनी ट्यूमर में जाती है और वहां गर्मी पैदा करती है। इस गर्मी से कैंसर कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं और धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं। इसे कभी-कभी “फोटोडायनेमिक थेरेपी” भी कहा जाता है।

लेज़र थेरेपी के दौरान मरीज को हल्की से मध्यम असुविधा महसूस हो सकती है, लेकिन यह सर्जरी की तुलना में काफी कम दर्दनाक होता है। सामान्यतः यह बाहरी या अंदरूनी दोनों तरीके से किया जा सकता है। बाहरी लेज़र के लिए बीम सीधे त्वचा पर लगाया जाता है, जबकि अंदरूनी लेज़र में ट्यूमर के पास छोटी नली से लेज़र पहुंचाया जाता है।

भारत में कैंसर की लेज़र थेरेपी की कीमत

भारत में लेज़र थेरेपी की कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है। इसमें ट्यूमर का आकार और स्थान, मरीज की उम्र, अस्पताल की सुविधाएं और डॉक्टर की विशेषज्ञता शामिल होती है। सामान्य तौर पर कीमत 50,000 रुपये से लेकर 3,00,000 रुपये या उससे अधिक हो सकती है।

महत्वपूर्ण यह है कि यह इलाज केवल ट्यूमर को हटाने के लिए नहीं है। कई बार यह अन्य इलाज जैसे कीमोथेरेपी और रेडिएशन के साथ मिलकर किया जाता है। इसलिए पूरी योजना को समझकर ही इलाज शुरू करना जरूरी है। भारत में बड़े शहरों में आधुनिक अस्पतालों में लेज़र थेरेपी उपलब्ध है, जिससे मरीजों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवा मिलती है।

लेज़र थेरेपी के फायदे

लेज़र थेरेपी के कई फायदे हैं। जिसमे से कुछ के बारे में अब हम आपको नीचे बताने वाले है। 

तेजी से असर दिखाना

लेज़र थेरेपी कम समय में ट्यूमर पर असर दिखाती है, जिससे मरीज को लंबे इलाज की जरूरत नहीं पड़ती।

सुरक्षित और कम दर्दनाक प्रक्रिया

यह तरीका सुरक्षित है और इसमें मरीज को कम दर्द और संक्रमण का खतरा रहता है।

आसपास के स्वस्थ टिश्यू की सुरक्षा

लेज़र थेरेपी सिर्फ कैंसर सेल्स पर काम करती है और स्वस्थ टिश्यू को नुकसान नहीं पहुंचाती।

अन्य इलाज के साथ संयोजन

कई बार लेज़र थेरेपी को सर्जरी या कीमोथेरपी के साथ मिलाकर इलाज को और प्रभावी बनाया जाता है।

जल्दी रिकवरी और सामान्य जीवन में वापसी

मरीज इस इलाज के बाद जल्दी ठीक हो जाता है और रोज़मर्रा की गतिविधियों में लौटने का समय कम लगता है।

लेज़र थेरेपी के संभावित साइड इफेक्ट्स

हालांकि लेज़र थेरेपी सुरक्षित है, फिर भी कुछ मरीजों को हल्की समस्याएं हो सकती हैं। इसमें त्वचा लाल होना, सूजन, जलन या हल्का दर्द शामिल हो सकता है। अगर ट्यूमर अंदरूनी अंगों में हो, तो आसपास के अंगों में थकान या असुविधा महसूस हो सकती है। अधिकांश साइड इफेक्ट्स अस्थायी होते हैं और डॉक्टर की देखभाल में आसानी से ठीक हो जाते हैं।

मरीज को यह समझना जरूरी है कि हर व्यक्ति की प्रतिक्रिया अलग होती है। कुछ मरीजों में बहुत हल्की परेशानी होती है, जबकि कुछ में थोड़ी गंभीर असुविधा हो सकती है। इसलिए इलाज से पहले डॉक्टर को अपनी पूरी मेडिकल हिस्ट्री देना जरूरी है।

भारत में लेज़र थेरेपी की उपलब्धता

भारत में बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता और चेन्नई में आधुनिक अस्पतालों में लेज़र थेरेपी उपलब्ध है। इन अस्पतालों में प्रशिक्षित डॉक्टर और उन्नत मशीनरी होती है। छोटे शहरों में सुविधा सीमित हो सकती है, लेकिन टेलीमेडिसिन और रेफरल सिस्टम से मरीज सही अस्पताल तक पहुंच सकते हैं।

मरीज को हमेशा अनुभवी और प्रशिक्षित डॉक्टर से ही लेज़र थेरेपी करानी चाहिए। गलत तकनीक या बिना प्रशिक्षित डॉक्टर से इलाज कराने पर परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

लेज़र थेरेपी के बाद देखभाल

लेज़र थेरेपी के बाद मरीज को थोड़े समय तक हल्की सावधानी बरतनी पड़ती है। त्वचा या ट्रीटमेंट वाले क्षेत्र की देखभाल करना, डॉक्टर की सलाह अनुसार दवाइयां लेना और नियमित चेकअप कराना जरूरी होता है। इससे इलाज का असर बढ़ता है और साइड इफेक्ट्स कम होते हैं।

साथ ही, मरीज को संतुलित आहार और पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। हल्की शारीरिक गतिविधि और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी रिकवरी को तेज करता है।

आज ही परामर्श लें

भारत में कैंसर की लेज़र थेरेपी एक आधुनिक और प्रभावी इलाज का तरीका है। यह सुरक्षित, कम दर्दनाक और जल्दी रिकवरी वाला विकल्प है। कीमत और उपलब्धता अलग-अलग अस्पतालों में बदलती रहती है, लेकिन बड़े शहरों में अच्छी सुविधाएं मौजूद हैं। यदि आप या आपके परिवार का कोई सदस्य कैंसर से जूझ रहा है और लेज़र थेरेपी के बारे में सोच रहे हैं, तो Oncare Cancer Hospital एक भरोसेमंद विकल्प है। यहां अनुभवी डॉक्टरों की टीम, आधुनिक मशीनरी और मरीज-केंद्रित देखभाल के साथ सर्वोत्तम इलाज उपलब्ध है। सही मार्गदर्शन और समय पर इलाज जीवन में नई उम्मीद ला सकता है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

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